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करोड़ों की ठगी का खुलासा करते डीसीपी अपराध कमलेश दीक्षित।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ में साइबर क्राइम थाना की टीम ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो नीट परीक्षा पास करने वाले छात्रों को प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिलाने का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी कर रहा था। इस गिरोह ने देशभर के कई राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था और सोशल मीडिया से लेकर फर्जी वेबसाइट और नकली डॉक्यूमेंट तक का इस्तेमाल करके अभिभावकों को अपने जाल में फँसाते थे। इस बड़े साइबर फ्रॉड में मुख्य सरगना प्रेमशंकर विद्यार्थी उर्फ अभिनव शर्मा सहित उसके सह अभियुक्त संतोष कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। टीम ने मौके से मोबाइल फोन, सीपीयू, मॉनिटर, फर्जी दस्तावेज और नकद रकम भी बरामद की है।
शुरू हुई केस की इस तरह से पड़ताल
डीसीपी अपराध कमलेश दीक्षित ने बताया कि 1 नवंबर को लखनऊ के इंदिरानगर में रहने वाले पीड़ित विजय बहादुर ने साइबर क्राइम थाना पहुंचकर तहरीर दी कि कुछ लोगों ने खुद को ‘हिंद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ का प्रतिनिधि बताकर उनसे 45 लाख रुपये की ठगी की। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने फर्जी नाम, नकली वेबसाइट, इंस्टाग्राम पेज और मोबाइल नंबरों के जरिये उनसे संपर्क किया। यही नहीं, अन्य पीड़ितों राजेश वर्मा (20 लाख), दीप सिंह (38 लाख) और प्रीति सिंह (23 लाख) से भी इसी तरह एडमिशन दिलाने के नाम पर ठगी की गई। इन शिकायतों पर साइबर क्राइम थाना लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया। इसके अलावा स्मिता राव (45 लाख) और अनिल कुमार (18 लाख) की शिकायतों पर भी अलग-अलग केस अलग तिथियों में पंजीकृत किए गए। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि देश के अन्य शहरों में भी इस गिरोह के खिलाफ पहले से मुकदमे दर्ज हैं।
गिरोह तक पहुंचने के लिए बनी विशेष टीम
पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) और डीसीपी क्राइम के निर्देशन में साइबर क्राइम थाना प्रभारी बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। इस टीम ने तकनीकी निगरानी, डिजिटल फुटप्रिंट, बैंक विवरण और सोशल मीडिया खातों की गहन जांच कर मुख्य आरोपी तक पहुंच बनाई। बुधवार को कठौता झील, लखनऊ से मुख्य आरोपी प्रेमशंकर विद्यार्थी और उसके सहयोगी संतोष कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ में सनसनीखेज खुलासे
पूछताछ में आरोपी प्रेमशंकर विद्यार्थी ने बताया कि वह लंबे समय से एडमिशन कंसल्टेंसी के नाम पर साइबर ठगी कर रहा था। विभिन्न राज्यों में फरारी के दौरान उसने कई फर्जी पहचानें बनाईं और उन्हीं पर कंसल्टेंसी ऑफिस खोलकर एडवर्टाइजमेंट करता था। वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से नीट अभ्यर्थियों का डेटा खरीदता और जिन छात्रों की मेरिट कम होती, उनके अभिभावकों को कॉल कर आकर्षक ऑफर देता था। फिर उन्हें कंसल्टेंसी ऑफिस बुलाकर “मैनेजमेंट कोटे की सीट” दिलाने का भरोसा देता और लाखों रुपये डिमांड ड्राफ्ट, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन या नकद के रूप में ले लेता। पैसे लेने के बाद वह फर्जी कागजात देकर फरार हो जाता।
लखनऊ साइबर क्राइम थाना ने नीट परीक्षा पास कराने और मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले बड़े साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। pic.twitter.com/uyNBvvLvIl
— shishir patel (@shishir16958231) November 26, 2025
गिरोह का मॉडस ऑपरेंडी
गिरोह तकनीकी तौर पर काफी शातिर है, उसके द्वारा ऑनलाइन कंपनियों से डेटा खरीदना, फेसबुक/इंस्टाग्राम पर फर्जी कंसल्टेंसी पेज बनाना, हिंद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के नाम से फर्जी बैंक खाते खुलवाना, काउंसिलिंग न पाने वाले छात्रों को मेडिकल कॉलेज में सीट दिलाने का झांसा, एडवांस फीस, ट्यूशन फीस और प्रोसेसिंग शुल्क लेकर करोड़ों की ठगी किया। मुख्य आरोपी ने अपनी पहचान छिपाने के लिए कई राज्यों में अलग-अलग फर्जी आईडी बनाई और इन्हीं नामों पर कंसल्टेंसी ऑफिस चलाता था।
बरामदगी और अपराधिक इतिहास
3 मोबाइल फोन,6 सीपीयू, 6 मॉनिटर, वाईफाई डोंगल व राउटर, 2 मोहरें, PNB बैंक की फर्जी चेकबुक, पैन कार्ड, आधार कार्ड, 4,98,490 नकद बरामद किया है। गिरफ्तार आरोपी प्रेमशंकर के खिलाफ यूपी, बिहार, गुजरात और दिल्ली समेत कई राज्यों में 18 गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। इनकी गिरफ्तार में प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव, निरीक्षक दीपक पांडेय, उ.नि. गुलाम हुसैन, उ.नि. ऋषि विवेक, हे.का. विवेक कुमार यादव, आरक्षी नवीन राय और वैभव नैन ने इस कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डीसीपी अपराध की आम लोगों से अपील
किसी भी संदिग्ध लिंक या ऐप पर क्लिक न करें।
एडमिशन, ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट के नाम पर मिलने वाले ऑफरों से सावधान रहें।
साइबर ठगी का शिकार होने पर तत्काल 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
यदि चाहें तो इसके लिए हेडिंग, छोटा सार, कीवर्ड, यूट्यूब स्क्रिप्ट या थंबनेल टेक्स्ट भी तैयार कर दूँ।
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