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र्जी आईएएस अधिकारी बना नटवरलाल गिरफ्तार
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी पुलिस और सीबीसीआईडी टीम ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए उस हाईप्रोफाइल ठग को गिरफ्तार कर लिया, जो खुद को कभी गुजरात कैडर का आईएएस अधिकारी तो कभी आईपीएस अफसर बताकर बेरोजगार युवाओं से नौकरी लगवाने के नाम पर करोड़ों रुपये ऐंठ चुका था। आरोपी की पहचान झारखंड के बोकारो निवासी डॉ. विवेक उर्फ विवेक आनंद मिश्रा पुत्र जे. मिश्रा के रूप में हुई है।
पिछले कई वर्षो से बेरोजगार युवाओं को ठगने का कर रहा था काम
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि यह ठग पिछले कई वर्षों से देशभर के बेरोजगार युवाओं को विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपने जाल में फंसा रहा था। अब तक वह करीब 150 युवाओं से लगभग 80 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है। आरोपी अपने को वरिष्ठ आईएएस या आईपीएस अधिकारी बताकर लोगों को भरोसे में लेता और फर्जी नियुक्ति पत्र, मंत्रालयों की सील-मोहर और विभागीय ईमेल आईडी का उपयोग कर उन्हें विश्वास दिलाता था कि उनकी पोस्टिंग जल्द होने वाली है।
गिरफ्तार ठग को चिनहट कोतवाली लाकर पूछताछ की जा रही
इंस्पेक्टर चिनहट दिनेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि मामले की जांच के दौरान सभी तथ्यों की पुष्टि होने पर आरोपी को सीबीसीआईडी की टीम ने चिनहट थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया। टीम में निरीक्षक राहुल कुमार द्विवेदी, मुख्य आरक्षी कमलेश कुमार, मुख्य आरक्षी संदीप कुमार और आरक्षी चालक शैलेंद्र कुमार शामिल थे। गिरफ्तार ठग को चिनहट कोतवाली लाकर पूछताछ की जा रही है।
24 जुलाई 2019 को चिनहट में मुकदमा दर्ज किया गया था
इस हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ, जब सभी पीड़ितों ने उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता डॉ. आशुतोष मिश्रा से संपर्क किया और अपनी शिकायतें दर्ज कराईं। अधिवक्ता ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मामला सीबीसीआईडी मुख्यालय, लखनऊ तक पहुंचाया। शिकायत के आधार पर 24 जुलाई 2019 को चिनहट कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था।
नौकरी दिलाने का झांसा देकर 150 से अधिक युवाओं से की ठगी
इसके बाद विवेचक निरीक्षक रमेश चंद्र तिवारी ने मामले की गहराई से जांच की। जांच में यह पूरी तरह साबित हो गया कि विवेक उर्फ विवेक आनंद मिश्रा ने फर्जी दस्तावेजों, नकली पहचान और जाली सरकारी पत्रों के आधार पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर 150 से अधिक युवाओं से करोड़ों रुपये ठगे हैं। जांच रिपोर्ट सही पाए जाने पर इंस्पेक्टर दिनेश चंद्र मिश्रा की अगुवाई में सीबीसीआईडी टीम ने गुरुवार को आरोपी को धर दबोचा।
पूछताछ में आरोपी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए
पूछताछ में आरोपी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उसने बताया कि वह अपने संपर्कों और सरकारी सर्किल में दिखावे के जरिए लोगों को विश्वास में लेता था। आरोपी ने राजधानी के कई होटलों और रेंटेड फ्लैटों में “नियुक्ति मीटिंग्स” आयोजित कर युवाओं को सरकारी नौकरी के नाम पर ठगने का काम किया। सीबीसीआईडी के पुलिस महानिदेशक ने इस उत्कृष्ट कार्य (Good Work) के लिए टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है।
राजधानी बन रही जालसाजों का गढ़
लखनऊ में इस तरह के ठगी नेटवर्क लगातार सक्रिय हैं। कभी फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर, तो कभी आईपीएस या सेना अधिकारी के नाम पर ठगों ने अबतक करोड़ों रुपये वसूले हैं। राजधानी पुलिस ने बीते कुछ वर्षों में ऐसे दर्जनों नटवरलालों को जेल भेजा है, लेकिन इनके गिरोह का जाल थमने का नाम नहीं ले रहा।
आरोपी की जालसाजी का दायरा कई राज्यों तक फैला
डॉ. विवेक उर्फ विवेक आनंद मिश्रा जैसे ठग पुलिसकर्मियों से लेकर सरकारी कर्मचारियों और बेरोजगार युवाओं तक सभी को अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करते थे। इतना ही नहीं, वह अक्सर सरकारी बैठकों या मंत्रालयों में होने का झूठा दावा कर लोगों का भरोसा जीतता था।सीबीसीआईडी अफसरों के मुताबिक, आरोपी की जालसाजी का दायरा कई राज्यों तक फैला हुआ है। उसके मोबाइल, बैंक खातों और डिजिटल ट्रांजेक्शन की जांच की जा रही है। पुलिस का मानना है कि इस नेटवर्क में और भी लोग शामिल हो सकते हैं।
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