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UP News : प्राथमिक विद्यालयों के विलय के विरोध में AAP नौ जुलाई से चलाएगी स्कूल बचाओ अभियान

aap की यूपी इकाई के मुख्य प्रवक्ता वंशराज दुबे ने कहा कि हर अभिभावक चाहता है कि उसका बच्चा 3 साल की उम्र से पढ़ना लिखना सीखने लगे, लेकिन सरकार की नई शिक्षा नीति में 6 साल से कम उम्र का बच्चा प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने नहीं जा सकता।

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Deepak Yadav
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स्कूलों के विलय पर AAP ने योगी सरकार को घेरा Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  यूपी के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) के आदेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) ने नौ जुलाई से स्कूल बचाओ अभियान शुरू करने का एलान किया है। पार्टी की यूपी इकाई के मुख्य प्रवक्ता वंशराज दुबे ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि 'शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पियेगा वही दहाड़ेगा' लेकिन सरकार विगत कई वर्षों से बाबा साहब के सपने को चकनाचूर करने में लगी हुई है। प्रदेश सरकार 26000 सरकारी स्कूलों को बंद कर चुकी है और 27000 स्कूलों को और बंद करने की योजना बना चुकी है।

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गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों की शिक्षा खतरे में

दुबे ने शनिवार को प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार खुद स्वीकार किया कि उसके कार्यकाल में स्कूलों की हालत खराब होने से विद्यार्थियों की संख्या 50 से भी कम रह गई। इसलिए अब उन स्कूलों को बंद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरटीई और आर्टिकल 21A के अनुसार, देश के छह से 14 साल के हर एक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा पाने का अधिकार है। फिर वह बच्चा चाहे गरीब, शोषित, वंचित या पिछड़े वर्ग से आता हो। साथ ही बच्चे को अपने घर से 1 किलोमीटर के दायरे में शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि बंद किए जा रहे सभी 27000 स्कूल दलित बस्तियों, अल्पसंख्यक समाज और पिछड़ी जातियों से जुड़े हुए गांव के है। जहां के बूथों से भाजपा पिछले चुनाव में बड़ी संख्या में हारी थी।

स्कूलों में न किताबें, न शिक्षक

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प्रवक्ता ने अखबार में छपी लखनऊ की एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि सरकार कहती है कि हम राजधानी के सरकारी स्कूलों को कॉन्वेंट स्कूल के स्तर का बनाएंगे लेकिन हकीकत यह है की ना वहां कॉपियां हैं ना किताबें, और ना ही कोई शिक्षक है। उन्होंने कहा कि बलिया के 30 साल से स्थापित एक सरकारी स्कूल में अभी तक बिजली नहीं आई है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि सहारनपुर के एक प्राथमिक विद्यालय के मिड डे मील में कीड़े परोसे जा रहे हैं। सोनभद्र के प्राथमिक विद्यालय में 1 लीटर दूध में बाल्टियों पानी मिलाकर 80- 80 बच्चों को पिलाया जा रहा है।

नई शिक्षा नीति पर सवाल उठाए

दुबे ने कहा कि हर अभिभावक चाहता है कि उसका बच्चा 3 साल की उम्र से पढ़ना लिखना सीखने लगे, लेकिन सरकार की नई शिक्षा नीति में 6 साल से कम उम्र का बच्चा प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों का ड्रॉप आउट रेशियो कम होने का एक कारण यह भी है। उन्होंने कहा की एक बच्चे के स्कूल में प्रवेश के लिए स्कूल के प्रधानाध्यापक को तमाम कागजी कार्यवाही से गुजरना पड़ता है। जिसमें उसके हजार रुपए भी खर्च होते हैं, तब जाकर एक बच्चे का स्कूल में प्रवेश हो पता है। 

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बच्चे टीन शेड में, सरकार बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का रही दावा

उन्होंने कहा कि बिजनौर में स्कूलों के विलय के नाम पर बच्चों को स्थानांतरित करके टीन शेड में भेज दिया गया। जबकि सरकार तर्क दे रही है कि हम इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा रखने के लिए स्कूलों का विलय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की टेंट में स्कूल और सीएम योगी की नीति टीन शेड में स्कूल बनाने की है।

शिक्षा खत्म करने का आरोप 

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प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा प्रदेश से शिक्षा को पूरी तरह खत्म करने के लिए इस विलय की योजना को लेकर आई है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी न्यायमूर्ति से यह निवेदन करती है की उत्तर प्रदेश के गरीब दलित वंचित और शोषित समाज से आए हुए बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए इस योजना पर तुरंत रोक लगाऐं। उन्होंने कहा कि नौ जुलाई से आम आदमी पार्टी यूपी प्रभारी सांसद संजय सिंह के नेतृत्व में स्कूल बचाओ अभियान की शुरुआत करेगी।

बच्चों के भविष्य के लिए न्यायालय पर भरोसा

प्रदेश महासचिव दिनेश सिंह पटेल ने कहा कि योगी सरकार की मंशा गरीब के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की है, जबकि आम आदमी पार्टी की राजनीति का केंद्र बिंदु ही स्कूल है। दिनेश पटेल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार में दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों के बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवा कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया। उन्होंने कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा है और उम्मीद है कि अदालत प्रदेश के गरीब शोषित और पिछड़े समाज से आए हुए बच्चों के भविष्य के लिए एक बेहतर फैसला लेगी।

शिक्षकों और कर्मचारियों का क्या होगा?

अयोध्या प्रांत अध्यक्ष विनय पटेल ने कहा की भाजपा और योगी सरकार स्कूलों को बंद करके एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जो प्राथमिक विद्यालय बंद किया जा रहे हैं वह दलित, शोषण, पिछड़े और आदिवासी समुदाय के गांव के हैं। जिसके पीछे मकसद है की यह समाज, शिक्षा से वंचित रह जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी स्कूल में 50 बच्चे नहीं हैं तो सरकार उस स्कूल की गुणवत्ता बढ़ाने की बजाय उस स्कूल को बंद करने का काम क्यों कर रही है? पटेल ने सरकार से सवाल किया कि बंद होने वाले स्कूलों में शिक्षा दे रहे शिक्षामित्र, आंगनवाड़ी, आशा बहुओं, रसोइए और अन्य कर्मचारियों का भविष्य का क्या होगा? आखिर इन लोगों की रोजी रोटी की जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने कहा कि जहां प्रदेश में दो लाख शिक्षकों की जरूरत है। वहीं सरकार ने 60000 स्कूलों को बंद करके डेढ़ लाख शिक्षक ऐसे ही खत्म कर दिए।

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