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मुख्य सचिव के बाद टीए टीम पहुंची नियामक आयोग Photograph: (google)
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण (Electricity Privatisation) को लेकर पावर कारपोरेशन एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। लेकिन अभी तक उसकी दाल नहीं गल पाई है। अब निजीकरण के मसौदे की मंजूरी के लिए सलाहकार कंपनी (टीए) की टीम एक नई बैंलेस शीट के साथ नियामक आयोग के दफ्तर पहुंची। लेकिन अध्यक्ष के दिल्ली में होने से उसकी यह कोशिश भी विफल हो गई। इसे पहले सात जुलाई को मुख्य सचिव, पावर कारपोरेश अध्यक्ष और अन्य अधिकारी अयोग पहुंचे थे, लेकिन तब भी बात नहीं बन पाई थी।
मसौदे को मंजूरी दिलाने की कोशिश तेज
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश के 42 जनपदों के निजीकरण का मसौदा घोटाले का पुलिंदा है। इसमें अयोग ने गंभीर वित्तीय कमियां निकाली हैं। ऐसे में निजीकरण की प्रकिया आगे न बढ़ पाने सेपावर कारपोरेशन प्रबंधन की झटपटाहट बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि अब सलाकार कंपनी की पूरी टीम नई आयोग की चौखट पर मिन्नतें करने पहुंची है। ताकि किसी तरह मसौदे को मंजरी मिल सके।
बिजली कंपनियों की लागत कम आंकी जा रही
अवधेश वर्मा ने कहा कि मसौदे की कमियां दूर कर दी जाएं, तो देश का कोई आद्योगिक समूह प्रदेश की आठ जनपदों वाली एक कंपनी को खरीदने में सक्षम नहीं होगा। इस​लिए सरकारी बिजली कंपनियों की लागत जानबूझकर कम आंकी जा रही है। ताकि उन्हें औने-पौने दाम पर बेचा जा सके। उन्होंने कहा कि ​किसी भी हालत में सरकारी संपत्ति को औद्योगिक कम लागत में समूहों को नहीं बचने देंगे।
नई बैलेस शीट पर उठाए सवाल
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि मंगलवार को आगरा में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी की जनसुनवाई है। इसमें आयोग अध्यक्ष के सामने इस मुद्दे को भी उठाया जाएगा। अवगत कराया जाएगा कि उनकी अनुपस्थिति में सलाहकार कंपनी की टीम अपनी रिपोर्ट अधिकारियों के पास लेकर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि नई बैलेंस शीट में से औद्यो​गिक समूहों के फायदे के लिए बनाई गई है।
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