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BBAU में यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम Photograph: (bbau)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में सोमवार को यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर जागरूकता कार्यक्रम आयो​जित किया गया। इस दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सदस्य विजया भारती ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थान केवल ज्ञान का केंद्र नहीं होते, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य को आकार देने का काम भी करते हैं। सयानी ने 1997 में सर्वोच्च न्यायालय की 'विशाखा गाइडलाइंस' का जिक्र किया। कहा, इससे कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए काफी मदद मिली। गाइडलाइंस के तहत संस्थानों को ऐसी समितियां बनाना जरूरी है, जो शिकायतों की जांच, पीड़ितों की मदद और और दोषियों पर कार्रवाई करें।
विश्वविद्यालय में सुरक्षित माहौल देना आईसीसी की जिम्मेदारी
भारती ने कहा कि आंतरिक शिकायत समिति आईसीसी का मुख्य काम विश्वविद्यालय को सुरक्षित और भयमुक्त वातावरण देना है। आईसीसी की स्थापना शिकायत निवारण का माध्यम ही नहीं, जागरुकता, संवाद और विश्वास की संस्कृति को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने विभिन्न केस स्टडीज का जिक्र करते हुए कहा कि कई महिलाओं ने साहस दिखाते हुए अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। जिससे अन्य पीड़ितों को भी प्रेरणा मिली। आयोग भी इस दिशा में विश्वविद्यालयों को मार्गदर्शन देता है। इसके अतिरिक्त सायनी ने उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए बनाए गए यूजीसी विनियम 2015, शून्य सहिष्णुता नीति की जानकारी दी।
पीड़ित महिला 3 माह के भीतर दर्ज करा सकती है शिकायत
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की संयुक्त सचिव डॉ. आशिमा मंगला ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए यूीजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में आंतरिक शिकायत समिति की स्थापना अनिवार्य की है। ताकि किसी तरह का लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतों का शीघ्र और निष्पक्ष समाधान हो सके। उन्होंने बताया कि कोई भी पीड़ित महिला तीन माह के भीतर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। उसके परिवार का कोई सदस्य भी शिकायत कर सकता है। साथ ही विश्वविद्यालयों में शिकायत पेटी और हेल्पलाइन नंबर जैसी व्यवस्थाएं अनिवार्य की गई हैं। उन्होंने कहा कि ‘सक्षम पोर्टल’ (SAKSHAM Portal) की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से छात्राएं एवं महिलाएं अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकती हैं।
शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच निरंतर संवाद जरूरी
कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने कहा कि आंतरिक शिकायत समिति प्रत्येक शिकायत को संवेदनशीलता, पारदर्शिता और सक्रियता के साथ सुनती है और निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच निरंतर संवाद आवश्यक है। जिससे आपसी विश्वास और सम्मान का वातावरण बन सके। विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक परिसरों में लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक जागरूकता एवं सहयोग ही एक समग्र समाधान है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता
इस अवसर पर दो व्याख्यान सत्र आयोजित किए गए। पहले सत्र में 'यूजीसी विनियम 2013 बनाम यूजीसी विनियम 2015 (उच्च शिक्षण संस्थानों- HEIs) लिंग आधारित विशेषताओं सहित' विषय चर्चा हुई। दूसरा सत्र 'यौन उत्पीड़न का मनोवैज्ञानिक प्रभाव: साधन, सहायता और संसाधन' विषय पर हुआ। कार्यक्रम के दौरान कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और कैंपस में संवेदनशीलता पैदा करने के उद्देश्य से मार्च निकाला गया। छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को लैंगिक समानता, सुरक्षा और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के महत्व के बारे में जानकारी दी गई।
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