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बांके बिहारी मंदिर विवाद : बार-बार एक ही मुद्दा उठाने पर सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी पक्ष को फटकारा

तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा - ऐसा करना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग, भविष्य में ऐसा होने पर होगी अवमानना की कार्रवाई।

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Vivek Srivastav
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प्रतीकात्‍मक Photograph: (सोशल मीड‍िया)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। वृन्दावन स्थित ऐतिहासिक श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़े प्रबंधन विवाद की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी परिवार के वकीलों को तीखी फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान गोस्वामी परिवार की ओर से पेश हुए वकीलों को सख्त लहजे में फटकार लगाते हुए तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट शब्दों मे चेतावनी दी कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाना बर्दाश्त नही किया जाएगा। तीन सदस्यीय पीठ में मुख्य न्यायाधीश  बी.आर.गवई, सतीश चन्द्र शर्मा एवं के विनोद चन्द्रन शामिल हैं। 
सुनवाई करते हुए तीन सदस्यीय पीठ ने गोस्वामी पक्ष के अधिवक्ताओं को स्पष्ट चेतावनी दी कि एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और भविष्य में ऐसा होने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पहवा और के. नटराजन ने यह स्पष्ट किया कि गोस्वामी पक्ष पहले ही मामले को दूसरी पीठ में स्थानांतरित करने की कोशिश कर चुका है, जबकि मामला पहले से ही न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ में सूचीबद्ध था।

खेल खेलना और चालें बंद कीजिए 

जब गोस्वामी पक्ष की ओर से एक बार फिर उसी मुद्दे को उठाने का प्रयास किया गया, जिसे अदालत पहले ही खारिज कर चुकी थी तो पीठ ने स्पष्ट असहमति जताते हुए कहा कि एक ही विषय को बार-बार उठाना न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है। पीठ ने कहा कि इस तरह की पुनरावृत्ति अनुचित है और इसे रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने कड़े लहजे में कहा कि आप ऐसा नही कर सकते हैं। आप इस तरह के खेल खेलना व चालें चलना बंद कीजिए। पीठ ने यह भी चेतावनी दी कि यदि ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न हुई और जानबूझकर मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तो संबंधित वकील के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही पर विचार किया जा सकता है। 

गंभीर कार्रवाई की चेतावनी 

अदालत की इस प्रतिक्रिया से गोस्वामी पक्ष के अधिवक्ता कुछ असहज प्रतीत हुए। सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वह प्रक्रियात्मक दुरुपयोग या अदालती प्रक्रिया में हेरफेर को स्वीकार नहीं करेगा और यदि भविष्य में ऐसा कोई प्रयास हुआ तो गंभीर कार्रवाई की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने कपिल सिब्बल के कनिष्ठ सहयोगी अधिवक्ता शिवांश पांण्डया के विरुद्ध अवमानना की प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया, किंतु न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने सदाशयता का परिचय देते हुए कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाया।

क्या है मामला?

दरअसल, यह मामला वृन्दावन के स्थित प्रसिद्ध बांके विहारी मंदिर से संबंधित है। जहां गोस्वामी परिवार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के बीच अधिकार एवं प्रबंधन को लेकर वर्षां से विवाद चल रहा है। 27 जुलाई को गोस्वामियों ने मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मंदिर प्रबंधन के सरकारी अध्यादेश के विरूद्ध याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि इस समिति का गठन कुछ दिन पहले ही हुआ था।

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