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Electricity Privatisation : निजीकरण मसौदे में बड़ा गोलमाल, सलाहकार कंपनी पर गिर सकती है गाज

Electricity Privatisation : विद्युत उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ग्रांट थार्नटन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की इक्विटी को जानबूझकर कम आंका। इसके बाद नियामक आयोग से मसौदे पर सहमति लेने की कोशिश की।

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Deepak Yadav
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निजीकरण मसौदे में बड़ा गोलमाल Photograph: (social media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिषद ने कहा कि निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ग्रांट थार्नटन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की इक्विटी को जानबूझकर कम आंका। इसके बाद नियामक आयोग से मसौदे पर सहमति लेने की कोशिश की। इतना ही नहीं आयोग मसौदे में कमियों का ब्योरा सरकार को न भेजता तो 14 दिन बाद निजीकरण की प्रक्रिया बिना उसकी राय के आगे बढ़ा दी जाती। उपभोक्ता संगठन ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

इक्विटी शेयर कैपिटल में घोटाला

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि छह से सात हजार करोड़ इक्विटी शेयर कैपिटल मानकर दोनों बिजली कंपनियों में प्रस्तावित पांच नई बिजली कंपनियों की कुल रिजर्व बिड प्राइस को दो हजार करोड़ से नीचे रखा गया है। ताकि कारपोरेशन की मनमानी कंपनियों को टेंडर प्रकिया में हिस्सा लेने का मौका मिल जाए। उन्होंने बताया कि बैलेंस शीट में स्पष्ट है कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की इक्विटी शेयर कैपिटल 25862 करोड़ और पूर्वांचल वितरण निगम की इक्विटी शेयर कैपिटल 28024 करोड़ है। दोनों की इक्विटी शेयर कैपिटल 53886 करोड़ है। आरोप लगाया कि इसी तरह बिजली कंपनियों की इक्विटी शेयर कैपिटल में घोटाला किया जा रहा है।

महापंचायत में निजीकरण के घोटाले का होगा पर्दाफाश

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वर्मा ने कहा कि सभी बिजली कंपनियों की सही मायने में इक्विटी के आधार पर उसकी वैल्यू निकली जाए तो कम से कम एक नई बिजली कंपनी का निर्धारित आरक्षित मूल्य के साथ 3500 से 4000 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए। क्योंकि अरबों की जमीन है। दोनों बिजली कंपनियों की एक लाख करोड़ से ज्यादा की नेटवर्थ है। अवधेश वर्मा ने कहा लखनऊ में  रविवार को किसान, उपभोक्ताओं और बिजली कार्मिकों की बिजली महापंचायत को परिषद का पूरा समर्थन है। उन्होंने कहा कि महापंचायत में निजीकरण के घोटाले का पर्दाफाश किया जाएगा। 

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