लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है। समाजवादी पार्टी के 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) कार्ड का जवाब देने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने मंडलीय स्तर की कार्यसमितियों में महिलाओं, ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग को 50 प्रतिशत तक प्रतिनिधित्व देकर साफ संकेत दे दिया है कि अब वह सामाजिक समीकरण के नए ढांचे पर काम कर रही है।
1918 मंडलों में 28 हजार 770 पद तय किये
बीजेपी ने प्रदेश के 1918 मंडलों की कार्यसमितियों में कुल 28,770 पद तय किए हैं, जिनमें से 7672 पद अनुसूचित जाति वर्ग के कार्यकर्ताओं को दिए गए हैं। 8345 पद ओबीसी वर्ग के कार्यकर्ताओं को सौंपे गए हैं और करीब 4000 पद महिलाओं को प्रदान किए गए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पहली बार संगठनात्मक ढांचे में इस तरह का प्रतिनिधित्व आधारित मॉडल अपनाया गया है। नए निर्देशों के तहत मंडल स्तरीय 60 सदस्यीय समितियों में से 50% पद ओबीसी, एससी और महिलाओं को देने की स्पष्ट नीति बनाई गई है।
2024 लोकसभा चुनाव में पीडीए ने दिया था बीजेपी को झटका
2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी ने दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गों को गोलबंद करने की कोशिश की थी, जिससे बीजेपी को कुछ क्षेत्रों में झटका भी लगा। ऐसे में 2027 से पहले बीजेपी का यह संगठनात्मक बदलाव चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि यह निर्णय केवल संगठनात्मक मजबूती के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशिता के विचार को पार्टी ढांचे में लागू करने की दिशा में बड़ा कदम है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय सपा के पीडीए समीकरण की काट के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी नेतृत्व का फोकस अब वर्गीय प्रतिनिधित्व को साधते हुए जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ने पर है।
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