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यूपी पंचायत चुनाव : दलित-पिछड़ों को जोड़कर खोई जमीन पाने की जुगत में बसपा

बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने 'यंग भारत न्यूज' से बातचीत में कहा कि पार्टी पूरी ताकत से पंचायत चुनाव में उतरेगी। प्रदेश में सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ और सेक्टर का गठन किया जा रहा है। पदाधिकारी भी नामित किए जा रहे हैं।

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Deepak Yadav
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पंचायत चुनाव में पूरी ताकत से उतरेगी बसपा Photograph: (google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में राजनीतिक दलों ने अगले साल होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सियासी दल पंचायत चुनाव के जरिए 2027 विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। सूबे में प्रमुख राजनीतक पार्टियां लगातार संगठनात्मक बदलाव के साथ नई रणनीतियों पर काम कर रही हैं। ​बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी पंचायत चुनाव के लिए अपने कील-काटें दुरुस्त करने शुरू दिए हैं। पार्टी प्रमुख मायावती के निर्देश पर बसपा इसे मिशन 2027 का सेमीफाइनल मानकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। बसपा को भरोसा है कि पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।

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गांव-गांव जाकर जनाधार बढ़ा रही बसपा

बसपा का फोकस हमेशा दलित और पिछड़ों पर रहा है। मायावती सत्ता से बेदखल होने के बाद से अभी तक वापसी नहीं कर सकी हैं। 2012 के बाद से बसपा का जनाधार लगातार​ गिरता जा रहा है। ऐसे में बसपा को दोबारा से खड़ा करने के लिए मायावती काफी मशक्कत करने में जुटी हैं। पार्टी पंचायत चुनाव में दलित और पिछड़ों को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है। बसपा गांव-गांव जाकर अपना जनाधार बढ़ा रही है। माना जा रहा है कि इस बार बसपा पंचायत चुनाव में अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका देगी।

संगठन स्तर पर काम तेज

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बीएसपी ने पंचायत से लेकर ब्लॉक और जिला स्तर तक संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। जिला और सेक्टर प्रभारियों को जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई जा रही है। ताकि जनता से सीधा जुड़ाव हो सके। 2021 के पंचायत चुनाव में बसपा 18 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल तीसरे स्थान पर रही थी। इस बार उसकी कोशिश है कि वह अपने प्रदर्शन को और बेहतर करे। ताकि यह विधानसभा चुनाव से पहले जनता का मूड समझने और संगठन को मजबूत करने का जरिया बने।

जनाधार​ गिरने से पार्टी सतर्क 

यूपी में बसपा की सियासी जमीन लगातार खिसकती जा रही है। फिलहाल प्रदेश में बसपा का सिर्फ एक विधायक है। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी थी। साल 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के जरिए 30 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सत्ता में आई बसपा का ग्राफ 2024 में महज आठ फीसद पर आ गया। लगातार मिल रही चुनावी पराजयों ने साफ कर दिया कि प्रदेश में 20 फीसद दलित समाज का भी बसपा से मोहभंग हो गया है। अपनी स्थापना के बाद से सबसे बुरे दौर से गुजर रही बसपा इस बार पंचायत चुनाव और मिशन 2027 के लिए काफी सतर्क है। 

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बूथ-सेक्टर का गठन शुरू

बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल (Vishwanath Pal) ने 'यंग भारत न्यूज' से बातचीत में कहा कि पार्टी पूरी ताकत से पंचायत चुनाव में उतरेगी। प्रदेश में सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ और सेक्टर का गठन किया जा रहा है। पदाधिकारी भी नामित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर जाकर पार्टी की नीतियों और विरोधियों की साजिशों से लोगों को अवगत करा रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के निर्देश पर हर वर्ग को बसपा से जोड़ा जा रहा है।

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