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यूपी में बिजली दरों की घोषणा में देरी पर भड़के उपभोक्ता Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में बिजली की नईं दरें घोषित करने में विलंब पर उपभोक्ताओं ने नाराजगी जताई है। उनका आरोप है कि अधिकारियों और औद्योगिक समूहों की मिलीभगत से बिजली दरों में बढ़ोतरी की साजिश हो रही है। इसलिए तय समय सीमा बीतने के एक माह बाद भी बिजली ​दरों की घोषणा नहीं की गई। उपभोक्ताओं ने दीपावली से पहले कटौती के साथ नई दरें जारी करने की मांग उठाई है।
155 दिन बाद भी नई बिजली दरों की घोषणा नहीं
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के वेबिनार में शनिवार को प्रदेश विभिन्न जनपदों से जुड़े उपभोक्ताओं ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार एआरआर स्वीकार करने के 155 दिन बीतने के बाद भी नई बिजली दरों की घोषणा नहीं की गई। जबकि विद्युत अधिनियम के अनुसार, 120 दिनों के भीतर नई दरें घोषित करन करना अनिवार्य है। उपभोक्ताओं ने आशंका जताई कि दीपावली के बाद बिजली दरें बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि जनविरोध से बचा जा सके।
बिजली दरों की घोषणा में देरी पर उठाए सवाल
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये बकाया है। इस वित्तीय वर्ष में भी लगभग चार हजार करोड़ का अतिरिक्त सरप्लस संभावित है। ऐसे में बिजली दरों में वृद्धि नहीं, बल्कि कटौती की जानी चाहिए। वर्मा ने सरकार से मांग की कि प्रदेशवासियों को राहत देते हुए दीपावली से पहले नई बिजली दरों की घोषणा की जाए। साथ ही सवाल उठाते हुए कहा कि आखिरकार किसके दबाव में बिजली दरों की घोषणा में देरी की जा रही है।
प्रमुख मांगें
- दीपावली से पहले बिजली दरों की घोषणा की जाए।
- दरों में वृद्धि के बजाय कटौती की जाए।
- घोषणा में देरी के कारणों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
- विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत सरकार हस्तक्षेप करे।
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