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स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत बढ़ने से उपभोक्ता परेशान Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरों में बढ़ोत्तरी ने गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों की कमर तोड़ दी है। आरडीएसएस योजना के तहत मुफ्त में लगाए जाना वाला स्मार्ट प्रीपेड मीटर नए कनेक्शन के साथ अनिवार्य कर​ दिया गया है। इसकी कीमत 6016 रुपये तय की गई है। ऐसे में दीपावली से पहले हजारों उपभोक्ता बिजली कनेक्शन लेने से वंचित रह गए हैं।
37,043 लोग नहीं जमा कर पाए कनेक्शन का पैसा
पावर कारपोरेशन के झटपट पोर्टल पर 10 सितंबर से छह अक्टूबर के बीच बिजली कनेक्शन के लिए 1,74,878 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 56,251 उपभोक्ताओं को कनेक्शन जारी किए गए, जबकि 6,251 आवेदन निरस्त कर दिए गए। 34,737 आवेदन अभी भी विचाराधीन हैं। मीटर शुल्क जमा करने के बावजूद 23,192 उपभोक्ताओं को अभी तक कनेक्शन नहीं मिला है। वहीं, मीटर की दरों में बढ़ोत्तरी से 37,043 लोग पैसा जमा नहीं कर पाए। इसमें से करीब 29 हजार गरीब उपभोक्ता एक किलोवाट कनेक्शन लेना चाहते हैं।
पीएम और ऊर्जा मंत्री के क्षेत्रों में भी उपभोक्ता परेशान
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अनुसार, प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की मालती देवी, तेज बहादुर और इंद्रावती देवी, ऊर्जा मंत्री के एके शर्मा के क्षेत्र की धर्मशिला, संभल के सलीमुद्दीन, लखनऊ बीकेटी निवासी कौशल यादव और गाजियाबाद के रहने वाले तुलसी प्रसाद वर्मा ने कनेक्शन लेने की प्रकिया पूरी कर ली। लेकिन एक किलोवाट का बिजली कनेक्शन महंगा होने की वजह से शुल्क जमा नहीं कर पाए। यही स्थिति पूरे प्रदेश में हैं। जहां जहां गरीब उपभोक्ता बढ़े हुए मीटर शुल्क की वजह से बिजली कनेक्शन लेने में असमर्थ हैं।
ऊर्जा मंत्रालय के निर्देश की अनदेखी
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने थे। इस बाबत ऊर्जा मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मीटर बदलने का कोई भी खर्च उपभोक्ताओं से नहीं वसूला जाएगा। इसके बावजूद पावर कॉरपोरेशन ने 10 सितंबर को आदेश जारी कर दिया कि अब नए बिजली कनेक्शन केवल स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर ही दिए जाएंगे।
उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण
वर्मा ने कहा कहा कि स्मार्ट प्रीपेट मीटरों की दर 6016 रुपये रखी गई है। जबकि विद्युत नियामक आयोग सिंगल फेस मीटर की कीमत 872 रुपये तय की थी। यह अंतर उपभोक्ताओं के आर्थिक शोषण को दर्शाता है। इसकी शिकायत नियामक आयोग से की जा चुकी है लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि रोशनी के पर्व दीपावली से पहले बिजली की सुविधा से वंचित रहना सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करता है।
परिषद की प्रमुख मांगें
- स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर 6016 रुपये की वसूली को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
- बिना अनुमति के लागू की गई इस व्यवस्था पर आयोग तत्काल संज्ञान ले।
- आरडीएसएस योजना के तहत मीटरिंग का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है, अतः उपभोक्ताओं से किसी प्रकार की वसूली अनुचित और अवैध है।
- जिन उपभोक्ताओं ने आवेदन किया है, उनका कनेक्शन तत्काल प्रभाव से विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित मीटर मूल्य पर जारी किया जाए।
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