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ऊर्जा मंत्रालय के विधेयक से प्रीपेड मीटर का मुद्दा गरमाया, पावर कॉरपोरेशन की मनमानी पर रोक लगाने की उठी मांग

प्रदेश में अभी तक लगभग 43 लाख 44 हजार 703 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। इसमें उपभोक्ताओं की सहमति के बिना 20 लाख 69 हजार 740 मीटर को प्रीपेड में बदल दिया गया है।

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Deepak Yadav
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स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं पर थोपना बिजली अधिनियम का उल्लंघन Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। ऊर्जा मंत्रालय की ओर से बिजली संशोधन विधेयक 2025 जारी किए जाने के बाद यूपी में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता पर रोक लगाने की मांग तेज हो गई है। दरअसल, विधेयक में विद्युत अधिनियम की धारा 47(5) में कोई संशोधन प्रस्तावित नहीं है। इस धारा के तहत उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर का विकल्प चुनने का अधिकार है। वहीं, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उपभोक्ताओं पर नए कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर को थोपना विद्युत अधिनियम का उल्लंघन करार दिया है।

85 प्रतिशत प्रीपेड मीटर में निगेटिव बैलेंस

परिषद के अनुसार, प्रदेश में अभी तक लगभग 43 लाख 44 हजार 703 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। इसमें उपभोक्ताओं की सहमति के बिना 20 लाख 69 हजार 740 मीटर को प्रीपेड में बदल दिया गया है। उसमें भी लगभग 85 प्रतिशत प्रीपेड मीटर निगेटिव बैलेंस में हैं। उपभोक्ताओं की जमा सुरक्षा धनराशि को भी बिना अनुमति के प्रीपेड वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया गया है। 

बिना सहमति लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर 

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में बिना उपभोक्ताओं की सहमति के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। जो बिजली अधिनियम का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों को भरोसा था कि विधेयक में विद्युत अधिनियम की धारा में संशोधन हो जाएगा। इसलिए नए कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता का फरमान जारी कर​ दिया गया गया। अब विधेयक में  साफ हो गया कि उपभोक्ताओं का अधिकार सुरक्षित है। इस अधिकार को किसी नियम, आदेश या शासनादेश से समाप्त नहीं किया जा सकता।

चेक मीटर की मासिक रिपोर्ट नहीं हुई सार्वजनिक

वर्मा ने कहा कि प्रदेश में लगाए गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ दो लाख से ज्यादा चेक मीटर लगाए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन अभी तक उनकी मासिक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। अब यह मीटर चुपचाप हटाए जा रहे हैं। इससे मीटर तेज चलने की उपभोक्ताओं की शिकायतों की पुष्टि हो रही है। ऐसे में चेक मीटर घोटाले की भी जांच होनी चाहिए। वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग इस मुद्दे पर चुप्पी साधे है। जबकि आयोग को दस्तावेज और साक्ष्य दिए जा चुके हैं।

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परिषद की मांगें

  • सभी उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर चुनने का संवैधानिक अधिकार दिया जाए।
  • बिना सहमति लगाए गए स्मार्ट प्रीपेड मीटर को तत्काल हटाया जाए या पोस्टपेड में पुनः कन्वर्ट किया जाए।
  • चेक मीटर रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और पूरे मामले की स्वतंत्र जांच हो।
  • उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को तत्काल हस्तक्षेप कर कार्रवाई करनी चाहिए।

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