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बिजली दरों पर जनसुनवाई में निजीकरण के खिलाफ फूटा गुस्सा Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत नियायम आयोग की तरफ से वाराणसी में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव पर हुई जनसुनवाई में निजीकरण के खिलाफ विरोध देखने को मिला। जनसुनवाई समाप्त होने के बाद वहां मौजूद उद्यमियों, बुनकरों, किसानों, उपभोक्ताओं और कर्मचारियों ने एक स्वर में प्रदेश सरकार के फैसले का विरोध किया। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दावा किया पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र सहित सीएम योगी और ऊर्जा मंत्री के क्षेत्रों से आए उपभोक्ता भी निजीकरण के खिलाफ हैं। ऐसे में सरकार को मान लेना चाहिए कि प्रदेश के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था निजी हाथों में देना जनहित में नहीं है। बेहतर होगा कि सरकार उपभोक्ताओं के हित को सर्वोपरि रखकर इस फैसले को वापस ले।
निजीकरण किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कल जनसुनवाई में बिजली दरों में बढ़ोतरी और निजीकरण के खिलाफ हर वर्ग के लोग का गुस्सा देखने को मिला। सभी लोगों ने कहा कि निजीकरण किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी, उद्यमी जगदीश झुनझुनवाला, बुनकर प्रतिनिधि व किसान प्रतिनिधि ने भी इस मौके पर निजीकरण का खुलकर विरोध किया।
विफलताओं पर माफी मांगें अफसर
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के कुछ नौकरशाह बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर बहुत दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उन्हें स्पष्ट किया कि आईएएस अफसर का कोई स्थायी विभाग नहीं होता। लेकिन वे जिस भी विभाग में तैनात होते हैं, वहां अपनी मनमानी शुरु कर देते हैं। ऊर्जा विभाग भी इससे अछूता नहीं है। नतीजतन 2000 के बाद से बिजली विभाग विभाग की स्थिति खराब है। ऐसे में उचित होगा कि वह अपनी विफलताओं के लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगते हुए विभाग से हट जाएं।
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