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निजीकरण विरोधी आंदोलन में बिजली कर्मियों के परिवार भी होंगे शामिल, मीटर लगाए जाने का होगा पुरजोर विरोध

समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में कानूनी अड़चनों से बौखलाए पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने हजारों बिजली कर्मचारियों का दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर कर दिया है।

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Deepak Yadav
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निजीकरण विरोधी आंदोलन में बिजली कर्मियों के परिवार भी होंगे शामिल Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण के खिलाफ प्रदेश भर में चल रहे बिजली कर्मियों के आंदोलन में स्मार्ट मीटर लगाए जाने का भी विरोध किया जा रहा है। अब कर्मचरियों का परिवार भी उनके साथ मीटर के खिलाफ.. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि पुलिस बल लगाकर बिजली कर्मियों के घरों में जबरदस्ती मीटर लगाने की कोशिश की जा रही है। जो रिफॉर्म एट 1999, ट्रांसफर स्कीम 2000 और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का उल्लंघन है। 

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निजीकरण में कानूनी अड़चनों से पावर कारपोरेशन बौखलाया

समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में कानूनी अड़चनों से बौखलाए पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने हजारों बिजली कर्मचारियों का दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर कर दिया है। बिजली कर्मचारियों का फेस अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोक दिया। संगठन के पदाधिकारियों पर आय के अधिक सम्पति के मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई।

रिफॉर्म एक्ट और स्थानांतरण स्कीम का हवाला

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उन्होंने कहा कि यूपी इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 के सेक्शन 23(7) और ट्रांसफर स्कीम 2000 का हवाल देते हुए कहा कि रियायती दर पर मिल रही बिजली की सुविधा और मेडिकल रीइंबर्समेंट सेवांत सुविधाओं (टर्मिनल बेनिफिट) का हिस्सा है। इसमें कभी भी ऐसा परिवर्तन नहीं किया जाएगा जो राज्य विद्युत परिषद में 14 जनवरी 2000 को मिल रही सुविधा की तुलना में कमतर हो। 

दो डिस्कॉम के बाद पूरे प्रदेश में होगा निजीकरण 

दो डिस्कॉम का निजीकरण होने के बाद पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था निजी हाथों में देने में समय नहीं लगेगा। ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी कम कर रही है। वह बिजली कर्मियों को रियायती बिजली की सुविधा नहीं देती। पावर कारपोरेशन स्मार्ट मीटर लगाकर यह सुविधा समाप्त करना चाहता है। जिससे निजीकरण होने के बाद औद्यो​गिक समूहों को कोई दिक्कत न हो।

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सात महीने बाद भी निजीकरण अधर में

पदाधिकारियों ने कहा कि नवंबर 2024 में पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ आशीष गोयल ने निजीकरण का एलान किया था। इसके विरोध में संगठन ने उसी समय आंदोलन शुरू कर दिया था। परिणामस्वरूप सात महीनों गुजरने के बावजूद पावर कारपोरेशन बिजली कं​पनियों का निजीकरण करने में कामयाब नहीं हो पाया। उपभोक्ताओं और किसानों को भी आंदोलन में जोड़ दिया गया है।

बिजली कर्मियों का परिवार भी सत्याग्रह में होगा शामिल 

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संघर्ष समिति संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि डर और उत्पीड़न के जरिए प्रदेश में बिजली वितरण निगमों का निजीकरण करना संभव नहीं है। बिजली कर्मी स्मार्ट मीटर लगाए जाने का हर स्तर पर पुरजोर विरोध करेंगे। उनके परिवार भी सत्याग्रह में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि अवकाश के दिन सभी जनपदों और परियोजनाओं पर पदाधिकारियों ने बिजली कर्मियों से जनसंपर्क कर निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन में और धार देने पर जोर दिया।

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