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सीओपीडी दुनिया में मौत का तीसरा प्रमुख कारण, 2025 में 50 करोड़ लोग बीमारी से हुए ग्रसित

अगर आप बिना ज्यादा मेहनत किए या थोड़ी सी शारीरिक गतिविधियों के बाद ही थककर हांफने लगते हैं या आपकी सांस फूलने लगती है, तो सतर्क हो जाइए। विशेषज्ञों का कहना है कि आज सांस फूलने की दिक्कत कल क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) में बदल सकती है।

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Deepak Yadav
dr ved prakash

पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश Photograph: (YBN)

विश्व सीओपीडी दिवस : विशेषज्ञों ने कहा- सांस फूलने को न करें नजरअंदाज, कराएं जांच और इलाज

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। अगर आप बिना ज्यादा मेहनत किए या थोड़ी सी शारीरिक गतिविधियों के बाद ही थककर हांफने लगते हैं या आपकी सांस फूलने लगती है, तो सतर्क हो जाइए। विशेषज्ञों का कहना है कि आज सांस फूलने की दिक्कत कल क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) में बदल सकती है। इसलिए इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। सीओपीडी फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है, जिसमें मरीज को धीरे-धीरे सांस लेने में परेशानी बढ़ती जाती है। ऐसे में सांस फूलते पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।

2050 तक 60–65 करोड़ होंगे सीओपीडी मरीज

केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में बताया कि सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है। इस वर्ष विश्वभर में 50 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक हालिया अध्ययन के अनुसार वर्ष 2050 तक इसके मरीजों की संख्या 60 से 65 करोड़ तक पहुंच सकती है। डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक, इस बीमारी के लगातार बढ़ने के पीछे बढ़ती उम्र की जनसंख्या, धूम्रपान की आदत और वायु प्रदूषण जैसे प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि समय रहते इस बीमारी के लक्षणों को पहचानें और जांच कराकर उपचार कराएं, क्योंकि जागरूकता और समय पर इलाज से इस बढ़ते खतरे को काफी हद तक रोका जा सकता है।

सीओपीडी के 40% मामलों में धूम्रपान जिम्मेदार

केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने मंगलवार को प्रेसवार्ता में बताया कि सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है। भारत में 5.5 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं। इसमें 40 प्रतिशत मामलों में धूम्रपान जिम्मेदार है। वहीं, इस साल विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से ग्रसित रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 2050 तक इसके मरीजों की संख्या 60 से 65 करोड़ तक पहुंच सकती है। डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि सीओपीडी के मामले लगातार बढ़ने के पीछे धूम्रपान, वायु प्रदूषण प्रमुख कारण हैं। 

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2019 में सीओपीडी से दुनिया में 32 लाख मौतें

उन्होंने बताया कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विशेष रुप से महिलाओ में सीओपीडी की बीमारी का प्रकोप समय के साथ बढ़ने का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर वर्ष 2023 तक लगभग 48 करोड़ लोग सीओपीडी से ग्रसित थे। वर्ष 2030 तक बढ़ती आबादी, तंबाकू के बढ़ते उपयोग और पर्यावरण प्रदूषण के संपर्क के कारण सीओपीडी वैश्विक स्तर पर मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बने रहने की उम्मीद है। सीओपीडी 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों अधिक प्रभावित करता है। 2019 में सीओपीडी के कारण दुनिया भर में लगभग 32 लाख मौतें हुईं थीं।

ग्रामीण रसोई का धुआं बढ़ा रहा फेफड़ों की बीमारी

खाना पकाने और हीटिंग के लिए बायोमास ईंधन का उपयोग सीओपीडी को बढ़ाता है। जैसे विशेष रूप से ग्रामीण घरों में इस्तेमाल होने वाले कंडे, उपलो से होने वाला इनडोर वायु प्रदूषण सीओपीडी को ग्रासित परिवेष में हाने वाली प्रमुख बीमारी बनाता है। 

अमेरिका में सीओपीडी पर 2.65 लाख करोड़ सालाना खर्च

दुनिया भर में सीओपीडी के लगभग एक-तिहाई मामले गैर-धूम्रपान करने वालों में होते हैं, जो अक्सर वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय कारकों से जुड़े होते हैं। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में सीओपीडी से जुड़ी प्रत्यक्ष चिकित्सा लागत सालाना 2.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जो बीमारी के आर्थिक बोझ को उजागर करती है।

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मल्टीपल रोगों के कारण बढ़ती है सीओपीडी मरीजों की परेशानी

सीओपीडी के मामलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बीमारी के अज्ञात मामले है, जिससे इसकी व्यापकता को कम करके आंका जाता है। सीओपीडी अक्सर अन्य पुरानी बीमारियों, जैसे हृदय संबंधी स्थितियां, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के साथ सह-अस्तित्व में रहती है, जिससे इस बीमारी का समुचित इलाज जटिल हो जाता है।

सीओपीडी क्या है?

विश्व सीओपीडी दिवस इस वर्ष 19 नवंबर को मनाया जाएगा। दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और सीओपीडी रोगी समूहों के सहयोग से ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (गोल्ड) द्वारा आयोजित किया जाता है। इस बार इसकी थीम 'सांस फूले तो सोचिये सीओपीडी' है। इस थीम का उद्देश्य सास फूलने पर सीओपीडी की बीमारी की जॉच एवं इसके समुचित उपचार के महत्व को प्रदर्षित करना है।  


सीओपीडी के सामान्य लक्षण

  • पुरानी खांसी
  • सांस लेने में तकलीफ
  • घरघराहट
  • सीने में जकड़न
  • थकान
  • बार-बार श्वसन संक्रमण होना
  • अनपेक्षित वजन घटना
  • राजमर्रा के काममाज करने में दिक्कत होना
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सीओपीडी के कारण

  • तम्बाकू धूम्रपान
  • अप्रत्यक्ष धूम्रपान
  • व्यावसायिक प्रदूषण
  • घर के अंदर वायु प्रदूषण

अनुवांशिक (जेनेटिक) कारण : अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी सीओपीडी की शुरूआत का कारण बन सकती है। 

बार-बार श्वसन संक्रमण : बार-बार श्वसन संक्रमण, विशेष रूप से बचपन के दौरान होने वाले संक्रमण जीवन में बाद में सीओपीडी विकसित होने का खतरा बढ सकता है।

खराब सामाजिक-आर्थिक बिमारियां : स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच, और अपर्याप्त पोषण सी0ओ0पी0डी0 के विकास और प्रगति में योगदान कर सकते है।

पहले से सांस संबंधी बीमारियां : अस्थमा से पीडित व्यक्तियों में सीओपीडी होने का  खतरा बढ़ सकता है। 

सीओपीडी का इलाज

  • ब्रोंकोडाईलेटर्स
  • इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
  • पलमोनरी रिहैबिलिटेशन
  • ऑक्सीजन थेरेपी
  •  सर्जरी

सीओपीडी पर वायु प्रदूषण का प्रभाव

  • पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 और पीएम10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ₂) जैसे वायु प्रदूषकों के लगातार संपर्क से फेफड़ों में सूजन और क्षति हो सकती है, जिससे इसका खतरा बढ़ जाता है। 
  • लक्षणों का बढ़ना- खराब वायु गुणवत्ता सीओपीडी के गंभीर रूप को बढ़ावा दे सकती है, जिससे सांस फूलना, खांसी और घरघराहट जैसे लक्षण बिगड़ सकते हैं और अस्पताल में भर्ती होने सकती है।
  • रोग प्रगति- वायु प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सीओपीडी रोगियों में फेफड़ों की कार्यक्षमता में तेजी से गिरावट आती है, जिससे समय के साथ रोग अधिक गंभीर हो जाता है।
  • बढ़ी हुई मृत्यु दर- अध्ययनों से पता चला है कि महत्वपूर्ण वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में सीओपीडी रोगियों के बीच मृत्यु दर अधिक है, विशेष रूप से स्मॉग के दौरान।
  • जीवन की खराब गुणवत्ता- वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी लक्षणों को खराब करता है, शारीरिक गतिविधि को प्रतिबंधित करता है, और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे सीओपीडी वाले व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  • बायोमास ईंधन एक्सपोजर- कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, खाना पकाने और हीटिंग के लिए बायोमास ईंधन के उपयोग (जैसे, लकड़ी, लकड़ी का कोयला और गोबर) से घर के अंदर वायु प्रदूषण सीओपीडी के प्रसार में एक प्रमुख योगदानकर्ता है।

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