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अंडों से बाहर निकले घड़ियाल के बच्चे, किलकारियों से गूंज रहा कुकरैल पुनर्वास केंद्र

विलुप्त हो रहे घड़ियालों को संरक्षित करने के लिए ही 1975 में कुकरैल में घड़ियालों पुनर्वास केंद्र खोला गया था। पुनर्वास केंद्र से 7560 घड़ियालों को नदियों में छोड़ा जा चुका है।

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Deepak Yadav
crocodile babies kukrail

कुकरैल में बढ़ा घड़ियाल का कुनबा Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ के कुकरैल पिकनिक स्पॉट में घड़ियालों का कुनबा अब और बढ़ गया है। यहां एक भाग में बने विशेष पुनर्वास केंद्र में अंडों से घड़ियाल बाहर आ गए हैं। इन नन्हें घड़ियालों की चहलपहल दर्शकों को आकर्षित कर रही है। पतली थूथन वाले मगरमच्छों की प्रजाति के नन्हें मेहमानों को सुरक्षित रखा गया है। ढाई साल के होने के बाद इन्हें किसी नदी में छोड़ा जाएगा, जिससे इनका वंश बढ़ता रहे। पुनर्वास केंद्र में एक नर और चारा मादा हैं। मादा एक बार में 35 से 40 अंडे देती हैं।

65 दिन बाद अंडों से बाहर आए बच्चे

अप्रैल में हुए अंडों को बालू में दबा दिया गया था। लगभग 60 से 65 दिन एक निश्चित में तापमान में रहने के बाद अंडों से बच्चे बाहर आएं  है। लगभग ढाई वर्ष की आयु में 1.20 मीटर से 1.50 मीटर की लंबाई होने के पश्चात उन्हें विभिन्न नदियों में छोड़ा जाता है। आने वाले समय में इन घड़ियालों को मेरठ हस्तिनापुर में गंगा नदी और महाराजगंज में गंडक नदी में छोड़ा जाएगा। जहां इनकी संख्या कम पाई गई है।

अभी तक 7560 घड़ियाल नदियों में छोड़े 

विलुप्त हो रहे घड़ियालों को संरक्षित करने के लिए ही 1975 में कुकरैल में घड़ियालों पुनर्वास केंद्र खोला गया था। पुनर्वास केंद्र से 7560 घड़ियालों को नदियों में छोड़ा जा चुका है। चंबल नदी और कतरनिया घाट में भेजे गए घड़ियालों की संख्या पर्याप्त हो गई है और इससे पहले उत्तराखंड, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, अमेरिका और जापान भी घड़ियालों को भेजा जा चुका है। 

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