लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पावर कारपोरेशन अध्यक्ष आशीष गोयल के जेल का विकल्प वाले बयान पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कड़ी आपत्ति जताई है। समिति ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए चेयरमैन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों को खुलेआम जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। 1975 में लागू आपातकाल में 19 माह बाद लोग रिहा कर दिए गए थे, लेकिन अब गिरफ्तार किए जाने वाले बिजली कर्मियों को रिहा नहीं किया जाएगा।
बिजली कर्मचारी जेल जाने को तैयार
समिति के पदाधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि पावर कारपोरेशन अध्यक्ष ने जेल जाने वाले कर्मचारियों का विवरण मांगने के लिए एक फॉर्मेट जारी करते सूची मांगी है। कर्मचारियों के उकसाने से प्रदेश की बिजली व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि बिजली के निजीकरण के विरोध में पावर कारपोरेशन का एक-एक कर्मचारी जेल जाने को तैयार है। चेयरमैन ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति और टकराव का वातावरण बनाकर प्रदेश को अंधेरे में डालना चाहते हैं। चेयरमैन जब चाहें बिजली कर्मी सामूहिक गिरफ्तारियां देने के लिए तैयार हैं।
चेयरमैन पर कार्रवाई की मांग
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध लगातार 211 दिन से आंदोलनरत हैं। इस बीच महाकुंभ के दौरान भीषण गर्मी में भी बिजली व्यवस्था सामान्य बनाए रखी। आज भी कार्मिकों के लिए उपभोक्ताओं की समस्या दूरा करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगमों में आपातकाल लगाने के विरोध में 27 जून को बिजली कर्मी चेतावनी दिवस मनाएंगे। समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे के बीच प्रबन्धन के उत्पीड़न और दमन के विरोध में आवाज बुलंद करेंगे।
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