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UP News : प्राइमरी स्कूलों के विलय मामले में फैसला सुरक्षित, हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का दिया आदेश

प्रदेश सरकार के 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक और जूनियर स्कूलों को मिलाने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर लखनऊ हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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Abhishek Mishra
Lucknow Bench of Allahabad High Court

प्राइमरी स्कूलों के विलय मामले में फैसला सुरक्षित

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लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के हजारों प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के मर्जर को लेकर उठे विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने 51 बच्चों की ओर से दायर याचिकाओं पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन

याचिकाएं सीतापुर निवासी कृष्णा कुमारी समेत विभिन्न जिलों के छात्रों की ओर से दाखिल की गई थीं। अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार 50 से कम नामांकन वाले विद्यालयों को दूसरे स्कूलों में मिलाने का निर्णय बच्चों के शिक्षा के अधिकार (RTE) के खिलाफ है। इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को 2-3 किलोमीटर दूर अन्य स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिससे उनकी नियमित शिक्षा बाधित होगी। परिवहन और संसाधनों की कमी पढ़ाई में बड़ी रुकावट बन सकती है।

राज्य सरकार की दलील

सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेशिया ने जवाब में कहा कि कोई भी स्कूल बंद नहीं किया जा रहा है। बल्कि, ऐसे विद्यालय जो वर्षों से खाली पड़े हैं या जिनमें एक भी छात्र नामांकित नहीं है, उनका उपयोग अन्य सरकारी कार्यों के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था में संसाधनों के बेहतर समायोजन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।

फैसले तक यथास्थिति बनी रहे

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील उत्सव मिश्रा ने जानकारी दी कि अदालत ने मौखिक रूप से निर्देश दिया है कि जब तक अंतिम आदेश नहीं आ जाता, तब तक स्कूल मर्जर की प्रक्रिया में कोई नई कार्रवाई न की जाए। इससे पहले राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय मांगा था।

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ये है पूरा मामला

गुरुवार को समय की कमी के कारण सुनवाई अधूरी रह गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया था कि शुक्रवार को राज्य सरकार को अपना पक्ष हर हाल में रखना होगा। मामले की शुरुआत तब हुई जब उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग ने 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों को उनके नजदीकी विद्यालयों में समाहित करने का आदेश जारी किया। इसके तहत स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने सभी जिलों से आंकड़े जुटाने और संभावित विलय की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे। अब हाईकोर्ट का फैसला न सिर्फ शिक्षा नीति को दिशा देगा, बल्कि राज्य के हजारों बच्चों और शिक्षकों के भविष्य पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।

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