Advertisment

डीजीपी ने वाराणसी, मीरजापुर और झांसी परिक्षेत्र की साइबर जागरूकता कार्यशालाओं का किया शुभारंभ

डीजीपी राजीव कृष्ण ने वाराणसी, मीरजापुर और झांसी परिक्षेत्र में साइबर जागरूकता कार्यशालाओं का शुभारंभ किया। इसमें साइबर अपराधों से बचाव, डिजिटल अरेस्ट जैसी बढ़ती ठगी, ऑनलाइन सुरक्षा और 1930 साइबर हेल्पलाइन के महत्व पर ज़ोर दिया गया।

author-image
Shishir Patel
Cyber Awareness Workshop

साइबर जागरूकता कार्यशालाओं का किया शुभारंभ करते डीजीपी।

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वाराणसी, मीरजापुर (विंध्यांचल) और झांसी परिक्षेत्र में आयोजित तीन साइबर जागरूकता कार्यशालाओं का औपचारिक शुभारंभ किया। इन कार्यशालाओं का उद्देश्य नागरिकों, छात्रों, अधिकारियों और समाज के विभिन्न वर्गों को साइबर अपराधों के बढ़ते खतरों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना है।

ऑनलाइन जुड़े पुलिस अधिकारी

इस कार्यक्रम में अपर पुलिस महानिदेशक (कानपुर एवं वाराणसी जोन), पुलिस महानिरीक्षक (विंध्यांचल एवं झांसी परिक्षेत्र), पुलिस उप महानिरीक्षक (वाराणसी परिक्षेत्र), मंडलायुक्त झांसी, न्यायिक अधिकारी भदोही, जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक झांसी, जौनपुर एवं भदोही सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, शिक्षक, छात्र, व्यापारी संगठनों के पदाधिकारी, डॉक्टर, बैंककर्मी, अधिवक्ता, मीडिया प्रतिनिधि एवं विभिन्न जिलों से ऑनलाइन जुड़े पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।पुलिस महानिदेशक ने कार्यशाला में अपना समय देने वाले साइबर विशेषज्ञ अमित दूबे, संजय मिश्रा और राहुल मिश्रा का आभार जताते हुए कहा कि साइबर सुरक्षा आज की सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है और इस दिशा में जन-जागरूकता बेहद आवश्यक है।

इंटरनेट सुविधा नहीं, जिम्मेदारी भी है: डीजीपी

अपने उद्बोधन में डीजीपी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया है। डिजिटल भुगतान, सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हर घर की आवश्यकता बन चुके हैं।भारत आज प्रति व्यक्ति डिजिटल वित्तीय लेन-देन में दुनिया में सबसे आगे है। कोविड के बाद ई-कॉमर्स में 60–70 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज की गई है।उन्होंने कहा कि इंटरनेट हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा तो है, लेकिन इसके दुरुपयोग की घटनाएँ भी तेजी से बढ़ी हैं। इसलिए इंटरनेट का उपयोग सतर्कता, मर्यादा और जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए।

समाज पर साइबर अपराधों का प्रभाव

डीजीपी ने बताया कि समाज का लगभग हर वर्ग साइबर अपराध से प्रभावित हुआ है।स्कूली बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं।महिलाएं साइबर स्टॉकिंग और महिला-केंद्रित अपराधों से प्रभावित हैं।युवाओं में सोशल मीडिया की लत बढ़ती जा रही है।उन्होंने कहा कि इन सभी खतरों से निपटने के लिए परिवार, स्कूल, और समाज को मिलकर कार्रवाई करनी होगी।

Advertisment

डिजिटल अरेस्ट,एक नया गंभीर साइबर खतरा

डीजीपी ने “डिजिटल अरेस्ट” को तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों में सबसे खतरनाक बताया।इसमें अपराधी खुद को CBI, पुलिस, कस्टम अधिकारी या सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को डरा देते हैं और उनसे भारी रकम वसूल लेते हैं। न्होंने कहा कि कई पढ़े-लिखे लोग, बुजुर्ग और पेंशनर्स इस अपराध का शिकार हो चुके हैं।डीजीपी ने स्पष्ट किया कि भारत में कोई भी सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल पर पैसे जमा करने को नहीं कहती, इसलिए नागरिकों को ऐसे मामलों से तुरंत सतर्क होना चाहिए।

साइबर ठगी के तीन प्रमुख कारण

डीजीपी ने बताया कि वित्तीय साइबर अपराध मुख्य रूप से तीन कारणों से होते हैं, लालच, करीब 70% साइबर ठगी लालच की वजह से होती है। लोग जल्दी पैसे कमाने या इनाम पाने के लालच में फंस जाते हैं।भय, अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर नागरिकों को डराते हैं और ठगी करते हैं।

अनजान लिंक पर क्लिक करना और सबसे खतरनाक

.APK फाइल क्लिक करना, जिससे फोन हैक हो जाता है और बैंक डिटेल्स चोरी हो जाती हैं।

Advertisment

नागरिकों के लिए तीन जरूरी उपाय

साइबर अपराध से बचने के लिए डीजीपी ने तीन महत्वपूर्ण उपाय बताए 1930 पर तुरंत कॉल करें—यह राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन है, जहां कॉल करते ही लेन-देन को फ्रीज करवाया जा सकता है।30 मिनट के भीतर शिकायत दर्ज करें, देर होने पर पैसा रिकवर करना मुश्किल हो जाता है। गलत अकाउंट या गलत डिटेल देने से जांच प्रभावित होती है।

बच्चों और युवाओं के लिए सुझाव

डीजीपी ने कहा कि बच्चों व युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग के दुष्प्रभावों से सतर्क किया जाना चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया की बढ़ती लत से भी बचने की जरूरत है।

पुलिस अधिकारियों के लिए संदेश

डीजीपी ने थाने के पुलिस अधिकारियों से कहा कि यह भ्रम त्यागना होगा कि वे साइबर अपराध की जांच नहीं कर सकते। साइबर जांच SOP आधारित और बेहद व्यवस्थित होती है तथा सामान्य आपराधिक जांच से भी अधिक सरल है।उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे पुलिस कर्मियों का कौशल बढ़ेगा, नागरिकों का पुलिस पर विश्वास भी बढ़ेगा।

Advertisment

साइबर सुरक्षा में जनता की भूमिका

अंत में डीजीपी ने कहा कि साइबर सुरक्षा तभी मजबूत हो सकती है जब नागरिक मजबूत पासवर्ड, अपडेटेड सॉफ्टवेयर और सतर्कता के साथ तकनीक का उपयोग करें। उन्होंने कहा सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी बनेगा जब जनता और पुलिस दोनों साथ मिलकर काम करें।

यह भी पढ़ें: Crime News:हुसैनगंज में युवक ने फांसी लगाकर दी जान, परिवार में मचा कोहराम

यह भी पढ़ें: जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल में डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध, डा. शाहीन के सोशल मीडिया गतिविधियों की जांच में मिले कई अजीब संकेत

यह भी पढ़ें: पर्यटन मंत्री आवास के पास मां-बेटे ने जहर खाकर आत्महत्या करने का किया प्रयास , जानिये क्या है पूरा मामला

news Lucknow
Advertisment
Advertisment