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जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल में डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध, डा. शाहीन के सोशल मीडिया गतिविधियों की जांच में मिले कई अजीब संकेत

दिल्ली बम धमाके के मामले में जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़े डॉक्टरों की गतिविधियां संदिग्ध मिली हैं। डॉ. शाहीन और उनके भाई डॉ. परवेज कुछ खास मोबाइल ऐप्स और सोशल मीडिया के जरिए अपने नेटवर्क से संपर्क रखते थे।

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Shishir Patel
Dr. Shaheen

डा. शाहीन ।

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। दिल्ली में हाल ही में हुए बम धमाके के मामले में जांच एजेंसियों को जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़े डॉक्टरों की संदिग्ध गतिविधियां मिली हैं। इस मॉड्यूल के प्रमुख सदस्य डॉ. शाहीन की सोशल मीडिया गतिविधियों की जांच में कई अजीब संकेत मिले हैं, जबकि उसका भाई डॉ. परवेज पूरी तरह से डिजिटल दुनिया से दूरी बनाए हुए था।सूत्रों के मुताबिक दोनों भाई कुछ खास मोबाइल ऐप्स जैसे टेलीग्राम और सिग्नल के जरिए ही आपस में और अपने नेटवर्क के अन्य सदस्यों से संपर्क रखते थे। यही वजह है कि उनकी आपसी बातचीत के पुख्ता सुराग मिलना मुश्किल हो रहा है।

सोशल मीडिया से खुल रहे कई सवाल

डॉ. शाहीन का प्रोफाइल लिंक्डइन पर तो मौजूद था, लेकिन उसने किसी को भी संदेश नहीं भेजे। जांच में पता चला कि उसके नेटवर्क में पाकिस्तान, यूएई, कजाकिस्तान जैसे देशों के लोग जुड़े थे, जिनमें कई पाकिस्तानी सेना के डॉक्टर भी शामिल थे। इसके अलावा हरदोई का एक स्कूल संचालक भी उसके संपर्क में था। अधिकारियों का मानना है कि इस डिजिटल शून्य और पासवर्ड सुरक्षा के पीछे गोपनीय संवाद की रणनीति काम कर रही थी।

फोन फोरेंसिक जांच में जुटी एजेंसियां

डॉ. शाहीन और डॉ. परवेज के पास से बरामद मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच जारी है। इससे उनके संचार और अन्य संभावित आतंकियों के संपर्क का पुख्ता सबूत मिलने की संभावना है।एटीएस और एनआईए टीम कानपुर के जीवीएसएम मेडिकल कॉलेज, इंट्रीग्रल यूनिवर्सिटी और इरा मेडिकल कॉलेज में डॉ. शाहीन और डॉ. परवेज से जुड़े पूर्व छात्रों और डॉक्टरों से लगातार पूछताछ कर रही है। तीनों संस्थानों से 2013 से 2015 तक पढ़ाई या तैनाती करने वाले डॉक्टरों और छात्रों की सूची तलब की गई है।

श्रीनगर में भी जांच तेज

श्रीनगर भेजी गई एटीएस की टीम मॉड्यूल के अन्य सहयोगियों और यूपी में मददगारों की जानकारी जुटा रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की इंट्रोगेशन रिपोर्ट के आधार पर यूपी और कश्मीर के कई डॉक्टरों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।अधिकारियों का कहना है कि फरीदाबाद मॉड्यूल की गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली हुई थीं और इसके माध्यम से जैश-ए-मोहम्मद भारत में आतंकी हमलों की योजना बना रहा था। यूपी में इस नेटवर्क के पीछे लगे डॉक्टरों और स्थानीय मददगारों को पकड़ा जाना अब एजेंसियों की प्राथमिकता है।

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यूपी ATS ने मदरसों पर कसी निगरानी, छात्रों-मौलवियों का पूरा डेटा मांगा

उत्तर प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। राज्य की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (UP ATS) ने अब मदरसों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी शुरू कर दी है। खुफिया इनपुट के बाद एटीएस ने प्रदेशभर के मदरसों से जुड़े हर बिंदु का विस्तृत रिकॉर्ड मांगा है।सूत्रों के मुताबिक, यूपी एटीएस ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त व गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की रिपोर्ट मांगी है। इसमें मदरसा संख्या, उनसे जुड़े शिक्षक, मौलवी, प्रबंधक, और वहां पढ़ने वाले छात्रों की पूरी डिटेल शामिल है।

प्रशासन से बता रही रूटीन प्रक्रिया 

ATS का उद्देश्य मदरसों की गतिविधियों, वित्तीय संचालन और आने-जाने वाले लोगों की पड़ताल कर किसी भी संदिग्ध हलचल को रोकना बताया जा रहा है। विभाग से कहा गया है कि सभी रिकॉर्ड अपडेटेड और प्रमाणिक रूप से उपलब्ध कराए जाएं।इस कदम के बाद प्रदेश के कई जिलों में चर्चा तेज हो गई है। प्रशासन इसे सुरक्षा को मजबूत करने की रूटीन प्रक्रिया बता रहा है, जबकि एटीएस इसे एहतियाती और खुफिया जरूरतों के तहत लिया गया कदम मान रही है।

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