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UP News: अब परेड से दूरी नहीं चलेगी, DGP ने अफसरों को जारी किया स्पष्ट निर्देश, न मानने वालों की खैर नहीं

उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिकारियों की परेड में गैरहाजिरी पर डीजीपी प्रशांत कुमार ने सख्त रुख अपनाया है। शासन स्तर पर नाराजगी जताते हुए डीजीपी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अधिकारी अनिवार्य रूप से मंगलवार और शुक्रवार की परेड में शामिल हों।

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Shishir Patel
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परेड को लेकर डीजीपी प्रशांत कुमार सख्त ।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।उत्तर प्रदेश पुलिस में अनुशासन और स्वास्थ्य संबंधी मानकों की अनदेखी अब वरिष्ठ अधिकारियों पर भारी पड़ सकती है। पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि कई जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी परेड में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, जिससे न केवल विभागीय अनुशासन प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह उनकी शारीरिक फिटनेस पर भी प्रतिकूल असर डाल रहा है।

परेड में अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करने के डीजीपी ने दिये सख्त निर्देश

इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी प्रशांत कुमार ने समस्त जिलों के कप्तानों और शाखा प्रमुखों को परेड में अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं।यह निर्देश उस रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है जो 29 अप्रैल को प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में प्रशासन शाखा की समीक्षा बैठक के दौरान सामने आई। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि परेड जैसे बुनियादी और अनुशासन-निर्माणकारी अभ्यास से वरिष्ठ अधिकारी लगातार दूरी बनाए हुए हैं, जिससे अधीनस्थों में भी अनुशासनहीनता और ढिलाई की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

हर मंगलवार और शुक्रवार को अधिकारी रहें मौजूद

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, जिले में तैनात वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सेनानायक, अपर पुलिस अधीक्षक और उप सेनानायक प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को होने वाली परेड में अनिवार्य रूप से भाग लेंगे। इनकी बायोमेट्रिक उपस्थिति भी दर्ज की जाएगी। केवल अवकाश, विशेष ड्यूटी या अपरिहार्य परिस्थितियों में ही अनुपस्थिति मान्य होगी।

डीजीपी ने यह भी निर्देश किया जारी 

डीजीपी ने यह भी निर्देशित किया है कि परेड के बाद संबंधित अधिकारी पुलिस लाइन और वाहिनी परिसर का दौरा कर विभिन्न व्यवस्थाओं का निरीक्षण करें।निरीक्षण के दायरे में साफ-सफाई, क्वार्टर गार्ड, बैरक, मेस, आर्मरी, अस्पताल, स्कूल, मनोरंजन गृह, अग्निशमन केंद्र, कल्याण केंद्र, परिवहन शाखा, पानी, बिजली, शौचालय व आवासीय सुविधाएं शामिल हैं।

शस्त्रों की नियमित जांच और गोला-बारूद पर सतर्कता

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डीजीपी ने यह भी रेखांकित किया कि हाल के वर्षों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें ड्यूटी के दौरान शस्त्रों के खराब प्रदर्शन या कारतूस चोरी की शिकायतें मिलीं। इसे देखते हुए उन्होंने शस्त्रों की नियमित सफाई, मरम्मत और भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए हैं। हेड आर्मोरर और आर्मोरर की पृष्ठभूमि की भी पूरी जांच की जाए। किसी संदिग्ध आचरण वाले कर्मी की आर्मरी से जुड़ी ड्यूटी में तैनाती न हो।

वरिष्ठ अधिकारियों को दिया गया संवेदनशीलता का संदेश

डीजीपी ने स्पष्ट किया कि अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ समन्वय और संवाद की कमी ही अनुशासनहीनता की बड़ी वजह बन रही है। ऐसे में सभी वरिष्ठ अधिकारियों से अपेक्षा की गई है कि वे अपने आचरण और नेतृत्व से उदाहरण प्रस्तुत करें, जिससे विभागीय अनुशासन और प्रेरणा दोनों सुदृढ़ हो सकें। अधीनस्थों के सुख-दुख में सहभागी बनना भी नेतृत्व का आवश्यक हिस्सा बताया गया है।


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