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साइबर ठगी करने वाले गिरफ्तार ।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।राजधानी लखनऊ में खुद को फर्जी CBI अधिकारी बताकर 'डिजिटल हाउस अरेस्ट' के नाम पर 47 लाख रुपये की साइबर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। साइबर क्राइम थाना लखनऊ की टीम ने ओडिशा से दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने WhatsApp वीडियो कॉल पर खुद को पुलिस अधिकारी दिखाते हुए पीड़ित को डराया और फर्जी गिरफ्तारी के नाम पर मोटी रकम ऐंठ ली।
अभियुक्तों के कब्जें से यह सामान हुआ बरामद
डीसीपी अपराध कमलेश दीक्षित ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम रंजीत कुमार बेहेरा पुत्र महेश्वर बेहेरा, निवासी बहनगा, गंढोना, थाना खनरापाड़ा, जनपद बालेश्वर, ओडिशा (उम्र: 27 वर्ष), जयंत कुमार साहू पुत्र बैधर साहू, निवासी बेलाबहाली, थाना घशीपुरा, जनपद क्योंझार, ओडिशा (उम्र: 33 वर्ष) है। इनके कब्जे से 1,27,740 नगद, 3 मोबाइल फोन (घटना में प्रयुक्त), 3 पहचान पत्र (आधार कार्ड, वोटर ID, ड्राइविंग लाइसेंस) बरामद किया है।
23 जून को रविन्द्र वर्मा के पास आई थी एक अनजान काल
घटना 23 जून को सामने आई, जब पीड़ित रविन्द्र वर्मा को एक अनजान कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को CBI अधिकारी बताते हुए कहा कि वर्मा का नाम मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। कॉल बाद में अंधेरी ईस्ट, मुंबई थाने ट्रांसफर कर दी गई, जहां एक अन्य व्यक्ति पुलिस की वर्दी में वीडियो कॉल पर सामने आया। उसने वर्मा को धमकाया कि उन्हें जेल भेजा जाएगा। इसके बाद पीड़ित को निर्देश दिया गया कि वे एकांत कमरे में रहें, कैमरे के सामने बने रहें और किसी भी पारिवारिक सदस्य को पास न आने दें।
जेल जाने की धमकी देकर पीड़ित से ठग लिए 47 लाख
ठगों ने पीड़ित को डराकर फर्जी सीज़र ऑर्डर और गिरफ्तारी वारंट भेजे और कहा कि अगर जेल से बचना है तो अपनी 99% संपत्ति सुप्रीम कोर्ट के नाम ट्रांसफर करनी होगी। इस बहाने पीड़ित से कुल 47 लाख की ठगी कर ली गई। इस मामले में थाना साइबर क्राइम लखनऊ में FIR संख्या 100/2025 दर्ज कर BNS की विभिन्न धाराओं एवं आईटी एक्ट व आधार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस आयुक्त लखनऊ के निर्देश पर साइबर सेल व थाना साइबर क्राइम की संयुक्त टीम ने तकनीकी विश्लेषण और सर्विलांस के जरिये दो अभियुक्तों – रंजीत कुमार बेहेरा और जयंत कुमार साहू को ओडिशा के क्योंझार जिले से गिरफ्तार किया।
डिजिटल अरेस्ट’ दिखाकर घंटों-घंटों पीड़ित को वीडियो पर बिठाए रखते थे
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे अलग-अलग नामों पर कॉर्पोरेट क्रेडिट कार्ड बनवाते थे और उसमें अपने मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड करते थे। पीड़ितों से ठगी गई रकम ICICI बैंक की कॉर्पोरेट नेटबैंकिंग और “Run Paisa” गेटवे के जरिए जयंत साहू की फर्म में ट्रांसफर होती थी, जिसे बाद में USDT क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर आपस में बांट लिया जाता था। उदाहरण के तौर पर, 21 जून को उदित बलवंतराय नाम के कार्ड से 27 लाख की राशि TRINAV DIGITAL PVT LTD के खाते में ट्रांसफर की गई, जिसकी जानकारी साहू को WhatsApp पर भेजी गई थी।ठग खुद को CBI/ED/पुलिस अधिकारी बताकर डर का माहौल बनाते थे। WhatsApp, Skype जैसे प्लेटफॉर्मों पर ‘डिजिटल अरेस्ट’ दिखाकर घंटों-घंटों पीड़ित को वीडियो पर बिठाए रखते थे। एकांतवास में रखकर यह यकीन दिलाते थे कि उनके खिलाफ गंभीर अपराध दर्ज है और बचने का केवल एक ही रास्ता है – पैसे का भुगतान।
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