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दिवाली के लिए जमकर हुई खरीदारी Photograph: (YBN)
दीपक यादव
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। रोशनी और खुशियों का त्योहार दीपावली हर साल कार्तिक अमावस्या पर मनाने की परंपरा है। हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा पर्व है। इस साल दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दिवाली के लिए रविवार को पूरे दिन बाजारों में भीड़ रही। हर कोई घर सजाने से लेकर अलग-अलग तरह की लाइटें, दीये खरीदता नजर आया। लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों की खूब खरीदारी हुई। बाजारों में पटाखों, फूलों की माला, सजावट के सामानों की भी जमकर बिक्री हो रही है। लोगों ने एक दूसरे को देने के लिए मिठाई और गिफ्ट भी खरीदे। दिवाली से एक दिन पूर्व देर रात तक बाजार गुलजार रहे।
डिजाइनर श्रीगणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाओं से पटा बाजार
धनतेरस से शुरू दीपोत्सव की खरीदारी का दौर सोमवार तक चलता रहेगा। समृद्धि की प्रतीक मां लक्ष्मी और शुभता के देव श्री गणेश की पूजा के चलते बाजार में डिजाइनर प्रतिमाएं मौजूद हैं। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत महंगी हैं। दुकानदार सोनी ने बताया कि मूर्तियां महंगी मिली हैं तो उसी हिसाब से फायदे के साथ बिक्री कर रहे हैं।
जैसी प्रतिमाएं वैसा दाम
मिट्टी की छोटी प्रतिमा 40-60 रुपये, मध्यम श्रेणी की प्रतिमा 50 से 70 रुपये, बड़ी प्रतिमाएं-200 से 300 रुपये, वस्त्रों वाली प्रतिमाएं 400 से 600 रुपये, मां लक्ष्मी के चरण प्रति पीस-20 से 30 रुपये, दीपक की बत्ती प्रति पैकेट 10 से 20 रुपये, आरती थाल 300 से 400 रुपये, श्री गणेश की माला 15 से 20 रुपये, मां लक्ष्मी के वस्त्र 40 से 50 रुपये, प्लास्टिक के तोरण 100 से 150 रुपये में बिक रहा है।
खील 180 से 220 रुपये किलो
खील, चूरा, चीनी के खिलौने, खुटिया, लइया की दुकानें भी सज गई हैं। दुकानदार गोपी ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल रौनक अधिक है। हर सामान पिछले साल के मुकाबले 10 से 20 रुपये की महंगा है। खील 180 से 220 रुपये प्रति किलो, चूूरा 60 से 90 रुपये प्रति किलो, लइया 60 से 80 रुपये प्रति किलो, खुटिया 130 से 180 रुपये प्रति किलो, गट्टी 130 से 190 रुपये प्रति किलो, बड़ी गट्टी 110 से 140 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
पानी से जलने वाले दीये बने आकर्षण का केन्द्र
लखनऊ का बजार सजे हुए हैं। लोग अपनी जरूरत के अनुसार खरीददारी करने के निकल रहे हैं। इस बार घरों में सजावट के लिए लखनऊ के बाजारों में मौजूद पानी से जलने वाले दीये लोगों को खूब पसंद आ रहे है। इन दीयों की खासियत है कि थोड़ा सा पानी डालने के बाद ये आठ घंटे तक जलेंगे। इनकी कीमत भी मात्र 20 रुपये है।
झालरों की खूब खरीदारी
सजावट के लिए रंग बिरंगी लाइटें और झालरों की दुकानों पर खूब खरीदारी हो रही है। नरही बाजार के दुकानदार गुरफान ने बताया कि इस बार लोग चाइनीज की जगह देसी झालरों को खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा भगवान गणेश, हार्ट शेप, स्टार लाइट जैसी तमाम नई लाइट भी लोगों को खूब पसंद आ रही हैं। इस साल बिक्री काफी अच्छी हो रही है और बाजार में खरीददारों की भीड़ भी लगी हुई है। उन्होंने बताया कि बीते साल से दामों में भी बढ़ोतरी नहीं हुई है।
सजावटी सामान की खरीदारी पर जोर
अमीनाबाद, लाटूश रोड, नाका हिंडोला, नरही, गोमतीनगर, भूतनाथ बाजार की रौनक बता रही कि दीपावली आ गई है। बाजारों में जबरदस्त भीड़ उमड़ी रही है। खासकर लोगों का जोर सजावटी सामान की खरीदारी पर दिखायी दे रहा है। दुकानदारों ने भी पिछली बार से कुछ हटकर चीजों से अपनी दुकानें सजाई हैं, जो ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं।
राजस्थानी तोरण और वंदनवार बने लोगों की पहली पसंद
ग्राहकों को पसंद आने वाली चीजों में मोतियों, स्टोन व नगों से बनी वंदनवार, साइड हैंगिंग शुभ-लाभ के तोरण, मोमबत्तियों और दीयों का विकल्प बनीं बैटरी वाली कैंडल लोगों को खूब आकर्षित कर रहीं हैं। वंदनवार कुछ विशेष पत्तों या चीजों से बनी झालर होती है। किसी भी शुभ कार्य या पर्व पर इसे घर के द्वार पर लगाने के पीछे मान्यता है कि इससे कोई भी नकारात्मक चीज घर में प्रवेश नहीं करती। इस दीपावली राजस्थानी तोरण के साथ नगों, मोतियों और स्टोन से बने वंदनवारों की खासी डिमांड है।
यूज एंड सेव रंगोली है खास
आमतौर पर कागज की रंगोली चिपकाने के बाद उसे हटाना मुश्किल हो जाता है। इसी तरह रंगों से बनाई रंगोली को कई दिन तक सहेजना मुश्किल है। जरा सा पैर लगा नहीं कि सब बेकार हो जाती है। ऐसे में इस बार बाजार में यूज एंड सेव रंगोली मौजूद है। ये मैटल और लकड़ी पर बनी है। इसकी कीमत 100 रुपये से शुरू होकर 1000 रुपये तक है। इसे सजाने के लिए सितारों, नगों और शीशे का इस्तेमाल किया गया है। इसे आप दरवाजों और आंगन के साथ दीवारों पर भी लगा सकते हैं। काम होने के बाद सुरक्षित निकालकर रखा भी जा सकता है।
पसंद आ रहे पट्टे वाले हैगिंग
अमीनाबाद खरीदारी करने पहुंची निशि रस्तोगी ने पट्टे वाले शुभ-लाभ लिखे हैंगिंग खरीदे। उनके मुताबिक शुभ-लाभ लिखी चीजें तो हर बार खरीदते ही हैं, ये इस बार कुछ हटकर लगाए इसलिए लिया। एक जोड़ी की कीमत 600 रुपये हैं। दुकानदार अलताफ कहते हैं कि लड़ियों वाले साइड हैंगिंग में भी इस बार नए डिजाइन आए हैं। पहले फूल वाले ज्यादा चलते थे। इस बार नग, मोती और स्टोन के हैंगिंग ज्यादा हैं। ये गुजराती व राजस्थानी संस्कृति की झलक देता है। ये 400 से 800 रुपये में उपलब्ध है।
रौनक देख कारोबारियों के चेहरे खिले
सुस्त पड़े बाजार धनतेरस से पहले ही गुलजार हो गए हैं। त्योहारी सीजन में बाजार में रौनक बढ़ गई है। ग्राहकों की भीड़ के चलते जाम की स्थिति पैदा होने लगी है। शहर के फुटपाथों पर लक्ष्मी-गणेश जी की मिट्टी की मूर्तियों की खरीदारी भी जोर शोर से हो रही है। इस बार बर्तन, सोना, चांदी के साथ-साथ कपड़ा व्यापारियों को काफी उम्मीदें हैं। आटोमोबाइल के शोरूम में भी लोगों की भीड़ लगी है।
झालर लटकाने के झंझट से बचना चाह रहे तो ट्री हैं ना
अगर झालर लटकाने और मुख्य दरवाजे पर झालर की रोशनी ठीक ढंग से नहीं पहुंच पा रही है तो इस बार नए तरह के हरे और रंगीन लाइट वाले पेड़ भी हैं। आर्यानगर के राजदीप सिंह छाबड़ा बताते हैं कि यह 'ट्री' दो फीट से लेकर छह फीट तक की ऊंचाई के हैं। इसकी मध्यम रोशनी लोगों को आकर्षित करने वाली है। अलग-अलग रंगों में यह पेड़ आपको दुकानों पर रुकने को मजबूर कर देंगे। इनकी खूब डिमांड है। इसकी कीमत पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक है।
रॉकेट बल्ब एवं टेंपिल झालर
रॉकेट बल्ब झालर सस्ती है। छाबड़ा के मुताबिक दस से लेकर 450 रुपये तक की टेंपिल लाइट बाजार में है। यह सस्ता आइटम कम लागत में बेहतरीन रोशनी देता है। जलने-बुझने के स्टाइल वाली यह लाइट पसंद की जा रही है। एवरग्रीन आइटम के रूप में इसे माना जाता है।
देसी लाइट ने निकाला चाइनीज का दिवाला
एक दौर था जब चाइनीज लाइट और झालर खूब पसंद की जाती थीं। कम कीमत और छोटी एलईडी वाली इन झालरों की डिमांड थी। लेकिन बीते पांच साल में चीन के इस आइटम पर देशी झालरों ने अपना दबदबा बना दिया। वजह यह है कि इसे फेंकने की नौबत नहीं आती है और इसके बल्ब आसानी से मिल भी जाते हैं। साथ ही इनकी रोशनी और अलग-अलग रंगों में होने वाली झिलमिलाहट साल-दर-साल साथ निभाती है। एक बार झालर खरीद ली तो समझो बरसों की छुट्टी हो गई। इनकी डिमांड देख चीन ने इसे इंडियन लुक में नकल कर भेजा है। लेकिन अब देशी झालर बाजार से गायब हैं।
भगवान राम की अयोध्या वापसी पर दीपोत्सव
पौराणिक मान्यता के अनुसार, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण समेत वानर सेना के साथ 14 वर्ष के बाद पुष्पक विमान से अयोध्या लौट आए थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था। इसके अलावा दीपावली पर मां लक्ष्मी के प्रकट होने की भी मान्यता है। इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन और कार्तिक अमावस्या पर दीपदान करने का विशेष महत्व होता है।
दिवाली के दिन 6 ग्रहों का अद्भुत संयोग
हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रदोष एवं रात्रि व्यापिनी अमावस्या तिथि पर दिवाली मनाई जाती है। इस बार 20 अक्टूबर को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर में 3:45 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जो 21 अक्टूबर की शाम को 5:54 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली के दिन कई ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। अमावस्या की रात स्थिर लग्न में महालक्ष्मी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी की स्थिरता बनी रहती है। वैसे तो चार स्थिर लग्न है, वृष, सिंह, वृश्चिक, और कुंभ। इसके अलावा महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए लाभ की चौघड़िया एवं अमृत काल पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
​तुला में सूर्य, मंगल, बुध का शुभ संयोग
सूर्य, मंगल और बुध सभी तुला राशि में आपस में मिलेंगे। इसका संयुक्त प्रभाव सभी राशि के लोगों के लिए शुभ फल देने वाला माना जा रहा है। कर्क राशि पर गुरु का उच्च गोचर हंस महापुरुष योग अत्यंत धन समृद्धि दायक रहेगा। सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा, जिससे नेतृत्व क्षमता और बुद्धि में विकास और सफलता मिलेगी। वहीं, कन्या राशि में शुक्र, चंद्र की युति से रिश्तों में प्रेम, मानसिक शांति एवं सुख की प्राप्ति होगी।
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि
दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें। इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें। फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें। स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। माता लक्ष्मी और गणेश जी को हार पहनाएं। इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें। फिर पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।
पूजा का शुभ मुहूर्त
गोधूलि संध्या- शाम 5:46 बजे से 6:12 मिनट तक।
प्रदोष काल - शाम 5:46 से रात 8:18 बजे तक।
वृषभ लग्न- शाम 7:16 से 9:09 मिनट तक।
मिथुन लग्न आरंभ- शाम 9:10 से रात 11:22 तक।
सिंह लग्न: रात 1:19 से रात के 03:56 तक।
लाभ की चौघड़िया- शाम 9:30 से 11:29 रात।
शुभ की चौघड़िया- 1:03 से रात के 02:37 तक।
अमृत काल- 2:37 मिनट से सुबह 4:11 मिनट तक।
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