लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली निजीकरण की बैलेंस शीट में वित्तीय मानकों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सरकार से इस पर मुहर लगाने वाले निदेशक (वित्त) और उच्चाधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की है। परिषद ने कहा कि निजी घरानों के फायदे के हिसाब से बैंलेस शीट तैयार की गई। ये मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के विपरीत है। इस पर पावर कारपोरेशन और सरकार के अफसरों ने मुहर लगाई है।
बैलेंस शीट में नहीं आयोग के आंकड़े
परिषद के मुताबिक, सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को तोड़कर बनने वाली पांच बिजली कंपनियों के लिए बैलेंस शीट तैयार की है। इसमें बहुवर्षीय टैरिफ वितरण विनियमन 2025 का उल्लंघन किया गया। बिजली नियामक आयोग ने बैलेंस शीट पर सवाल उठाए हैं। इसमें आयोग के आंकड़े भी शामिल नहीं किए गए। इसे वर्ष 2023-24 के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया। जबकि 2024-25 की बैलेंस शीट बन चुकी है। ग्रांट थार्नटन ने उपभोक्ताओं का जमा पैसा और सरकार से मिली मदद (ग्रांट) को भी सम्पत्ति (एसेट) के रूप में दिखाया। इससे निजी कंपनियों को रिर्टन ऑफ के नाम पर करोड़ों का फायदा होगा।
निजीकरण की दो बैलेंस शीट बनाईं
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बैलेंस शीट में मामाने आंकड़ें हैं। पावर कारपोरेशन और शासन में इस पर मुहर लगाई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि दोनों बिजली कंपनियों की इक्विटी लगभग 6900 करोड़ मानकर पांचों नई बनने वाली बिजली कंपनियों की रिजर्व बिड प्राइस निकाली जाए तो वह एक कंपनी की 1500 करोड़ से भी कम होगी। यानी की सस्ती लागत पर 42 जनपदों के लिए भविष्य में गठित होने वाली पांच बिजली कंपनियों को निजी घरानों को सौंपने के लिए दो बैलेंस शीट बना दी गईं।
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