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Crime News: बुजुर्ग पिता को छह दिन रखा डिजिटल अरेस्ट, बेटे ने ठगों को दिए 1.29 करोड़ रुपये

लखनऊ में साइबर ठगों ने सीबीआई अफसर बनकर 100 वर्षीय बुजुर्ग को छह दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। डर के साए में बेटे ने अलग-अलग खातों में कुल 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब रकम वापस नहीं मिली तो पीड़ित ने थाने में एफआईआर दर्ज कराई।

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Shishir Patel
Cyber Fraud55

फोटो।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  राजधानी में साइबर अपराधियों ने फिल्मी अंदाज में डिजिटल अरेस्ट का सहारा लेकर 1.29 करोड़ रुपये हड़प लिए। ठगों ने खुद को सीबीआई अफसर बताकर 100 वर्षीय बुजुर्ग को छह दिन तक मानसिक रूप से कैद रखा और उनके बेटे से करोड़ों रुपये ऐंठ लिए। मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित को रकम वापस नहीं मिली। शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस अब आरोपियों के मोबाइल नंबर और बैंक खातों की जांच कर रही है।

कैसे रचा गया पूरा खेल

सैनिक हाउसिंग सोसाइटी निवासी, मर्चेंट नेवी से रिटायर्ड अधिकारी सुरिंद्र पाल सिंह (70 वर्ष) ने सरोजनी नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि उनके पिता हरदेव सिंह (100 वर्ष) के मोबाइल पर 20 अगस्त को एक अंजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अफसर आलोक सिंह बताते हुए उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया और अरेस्ट वारंट की धमकी दी।ठगों ने इसके बाद लगातार वाट्सऐप कॉल करके हरदेव सिंह को डिजिटल अरेस्ट की स्थिति में डाल दिया और बैंक संबंधी गोपनीय जानकारी निकलवा ली।

डर के साए में बेटे ने किए करोड़ों ट्रांसफर

जब सुरिंद्र पाल सिंह शाम को घर लौटे तो पिता ने पूरी घटना बताई। ‘अरेस्ट वारंट’ का नाम सुनकर वे भी डर गए और अगले ही दिन 21 अगस्त को बैंक ऑफ बड़ौदा, भावनगर के खाते में 32 लाख रुपये RTGS के जरिए भेज दिए।

इसके बाद आरोपियों ने उन्हें और धमकाकर अलग-अलग खातों में रकम ट्रांसफर करवाई

22 अगस्त: 45 लाख रुपये (आईसीआईसीआई बैंक, पोंडा)

25 अगस्त: 45 लाख रुपये (आईसीआईसीआई बैंक, जलगांव फाटा)

26 अगस्त: 7 लाख रुपये (आईसीआईसीआई बैंक, जलगांव फाटा)

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ठग लगातार भरोसा दिलाते रहे कि रकम वेरिफिकेशन के बाद वापस कर दी जाएगी। लेकिन जब मंगलवार शाम तक पैसा नहीं लौटा तो पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने तत्काल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

साइबर अपराधी खुद को किसी एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को लगातार ऑनलाइन कॉल (वीडियो/ऑडियो) पर रखते हैं और डर व धमकी देकर बैंक डिटेल्स और रकम निकलवाते हैं। पीड़ित इस दौरान मानसिक रूप से ऑनलाइन कैद महसूस करता है।

कैसे बचें इस ठगी से

किसी भी अंजान कॉल पर खुद को एजेंसी/अफसर बताने वाले व्यक्ति पर भरोसा न करें।

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यदि कोई कहे कि पार्सल या मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज है तो तुरंत फोन काटें।

ऐसे मामलों की तुरंत सूचना 1930 हेल्पलाइन नंबर या www.cybercrime.gov.inपर दें।

ऐसे और भी मामले सामने आ चुके हैं

इंदिरानगर की प्रोफेसर प्रमिला मानसिंह से 78.50 लाख की ठगी।

कनाडा निवासी सुमन कक्कड़ व उनकी बहन से 1.88 करोड़ ऐंठे गए।

ऐशबाग निवासी प्रभात कुमार (पूर्व बैंककर्मी) से 1.20 करोड़।

एसजीपीजीआई की डॉ. रुचिका टंडन से 2.81 करोड़।

हजरतगंज निवासी दीपा रस्तोगी (डॉ. पंकज रस्तोगी की पत्नी) से 2.71 करोड़।

मरीन इंजीनियर एके सिंह से 84 लाख।

रिटायर्ड अधिकारी कमलकांत मिश्रा (ठाकुरगंज) से 17.50 लाख की ठगी।

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