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निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण की पैरवी करने पर ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन (AIDA) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समिति ने एसोसिएशन के महानिदेशक और पूर्व केंद्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार पर पद का दुरुपयोग करने और विद्युत वितरण निगमों की समानान्तर सरकार चलाने का आरोप लगाया है। इस संबंध में केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र भेजकर पूर्व सचिव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पद का दुरुपयोग कर मांग रहे चंदा
समिति ने आरोप लगाया कि आलोक कुमार अपने पद के नाम का दुरुपयोग कर एआईडीए के लेटर पैड पर देश के विद्युत वितरण निगमों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकों को पत्र जारी कर चंदा मांग रहे हैं। एक अगस्त को जारी किए गए पत्र में यह दावा कि गया कि देश के 39 विद्युत वितरण निगम एआईडीए के सदस्य बन चुके हैं। सदस्यता लेने पर अंतरराष्ट्रीय दौरे पर भेजने और उसका पूरा खर्च उठाने समेत 10 तरह की सुविधाओं का लालच दिया जा रहा है।
विधिक सहायता और प्रशिक्षण का लालच
इसमें विद्युत वितरण निगमों में विधिक सहायता, प्रशिक्षण कार्यक्रम, शोध अध्ययन, बाहरी विशेषज्ञों द्वारा विद्युत वितरण निगमों में प्रजेंटेशन, विद्युत वितरण निगमों में खरीद फरोख्त के आदेशों का आदान प्रदान, टैरिफ की सुविधा भी शामिल है। इस तरह प्रलोभन देकर पद का दुरुपयोग किया जा रहा है। साथ ही विद्युत वितरण निगमों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकों की निष्ठा पर भी बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
निजी कंपनियों की बैठक में एआईडीए का गठन
संघर्ष समिति ने बताया कि 14-15 नवंबर 2024 को लखनऊ में देश के विद्युत वितरण निगमों की एक बैठक हुई। इसमें इस एसोसिएशन का गठन किया गया। बैठक में टाटा पावर, रिलायंस पावर, गोयनका पावर और निजी क्षेत्र की कई कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस दौरान महाराष्ट्र विद्युत वितरण निगम के अध्यक्ष लोकेश चंद्र को एआईडीए का अध्यक्ष और उप्र पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष गोयल को महामंत्री नामित किया गया। एक निजी कंपनी के प्रबंध निदेशक को कोषाध्यक्ष और आलोक कुमार को महानिदेशक नियुक्त किया गया।
269वें दिन भी विरोध जारी
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बैठक के बाद ही पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का जिन्न बाहर आया। एसोसिएशन की अगली बैठक नवंबर में महाराष्ट्र में होने जा रही है। चूंकि वहां भी बिजली का निजीकरण किया जा रहा। उन्होंने कहा कि विभिन्न विद्युत वितरण निगमों के उच्च अधिकारियों का इस एसोसिएशन की गतिविधियों में हिस्सा लेना बेहद गंभीर और चिंताजनक है। दुबे ने बताया कि आज लगातार 269 वे दिन बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदेश के सभी जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
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