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निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी प्रदर्शन करते Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। काकोरी क्रांति की पूर्व संध्या पर भारत छोड़ो आंदोलन की तर्ज पर बिजली कर्मी प्रदेश भर में 'कॉर्पोरेट घरानों-सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर छोड़ो' अभियान चलायेंगे। इसके तहत आठ से 15 अगस्त तक कर्मचारी तिरंगा लेकर व्यापक जनसंपर्क कर लोगों को बिजली के निजीकरण से होने वाले नुकसान से अवगत कराएंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' की तर्ज पर अभियान चलाया जाएगा।
निजीकरण विकसित भारत के लक्ष्य में सबसे बड़ा रोड़ा
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य में सबसे बड़ा रोड़ा है। निजी कंपनियों मुनाफे के लिये काम करने आयेंगी। बिजली के दामों में बेतहाशा वृद्धि होगी। निजीकरण प्रदेश के किसानों, गरीब और माध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं के लिये अंधेरे का संदेश लेकर आयेगा। इससे निजात पाने के लिये मुख्यमंत्री को निजीकरण के पीछे हो रहे घोटाले में मुख्य भूमिका निभाने वाले पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग को तीसरी बार सेवा विस्तार नहीं देना चाहिए।
निदेशक को सेवा विस्तार नहीं देने की मांग
नारंग का कार्यकाल 17 अगस्त को समाप्त हो रहा है। उनके सेवा विस्तार के लिए 14 जुलाई को पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने शासन को पत्र भेजा था। 30 जुलाई को सेवा विस्तार देने से इनकार कर दिया गया। इसके बावजूद पुनः शासन को पत्र भेजकर निधि नारंग को छह महीने के लिए और सेवा विस्तार करने की अनुशंसा की है।
निधि नारंग पर गंभीर आरोप
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया निधि नारंग ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन के साथ मिलकर कुछ चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों को गोपनीय दस्तावेज दे रहे हैं। यह बहुत गम्भीर बात है। ऐसी स्थिति में नारंग का कार्यालय तत्काल सील किया जाना चाहिए और उन्हें किसी भी परिस्थिति में सेवा विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए।
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