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चोर दरवाजे से निजीकरण मसौदे को मंजूरी दिलाने की साजिश : उपभोक्ता परिषद पहुंचा नियामक आयोग, फंस सकता है कानूनी पेंच

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग को विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले की प्रति भेजते हुए कहा कि निजीकरण के इस मसौदे को देश का कोई भी नियामक पास करने की सलाह नहीं दे सकता है।

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Deepak Yadav
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चोर दरवाजे से निजीकरण मसौदे को मंजूरी की साजिश Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (puvvnl-dvvnl Privatisation) के निजीकरण  में एक नया कानूनी पेंच फंस सकता है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बुधवार को नियामक आयोग में विधिक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल किया है। इसमें सलाह के बहाने चोर दरवाजे से निजीकरण के मसौदे को मंजूरी दिलाने का आरोप लगाया गया है। परिषद ने इसे विद्युत अधिनियम 2003 और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का का उल्लंघन करार दिया है।

निजीकरण का मसौदा खामियों से भरा

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Avadhesh Kumar Verma) ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 86(2) के तहत सरकार ने नियामक आयोग से निजीकरण के मसौदे पर सलाह मांगी है। उन्होंने आयोग को विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले की प्रति भेजते हुए कहा कि निजीकरण के इस मसौदे को देश का कोई भी नियामक पास करने की सलाह नहीं दे सकता है। क्योंकि इसमें कई कमियां हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

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वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के हवाले से कहा है कि राज्य सरकार और नियामक आयोग धारा 86 (2) के तहत सलाह ले और दे सकते हैं। लेकिन अधिनियम 2003 में प्रावधानित मामले को कमजोर करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी नहीं दी जा सकती। अधिनियम के बनाए गए किसी भी नियम के तहत यह स्वीकार नहीं है। 

निजीकरण में नियमों की अनदेखी

उन्होंने कहा कि नियामक आयोग ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 व 15 के तहत बिजली कंपनियों को लाइसेंस दिया है। कानूनन विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 17 के तहत राज्य सरकार को बिजली कंपनियों की सम्पतियों या उसे बेचने से पहले आयोग से अनुमति लेना जरूरी है। लेकिन निजीकरण की प्रकिया में नहीं किया गया। इसीलिए सलाह का नाम पर चोर दरवाजे से सैद्धांतिक मंजूरी की साजिश की जा रही है। ऐसे में आयोग को निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए।

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