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निजीकरण के खिलाफ आंदोलन के 250 दिन, 4 अगस्त को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेंगे बिजली कर्मचारी

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के 250 दिन पूरे होने पर चार अगस्त को कर्मचारी प्रदेश भर में प्रदर्शन करेंगे।

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Deepak Yadav
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निजीकरण के खिलाफ आंदोलन के 250 दिन, 4 अगस्त को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेंगे बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ प्रदेश में बिजली कर्मियों का विरोध तेज होता जा रह है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर चल रहे आंदोलन के 250 दिन पूरे होने पर चार अगस्त को कर्मचारी प्रदेश भर में प्रदर्शन करेंगे। समिति का आरोप है कि निजीकरण के नाम पर बड़ा घोटाला होने जा रहा है। संगठन ने मुख्य सचिव को पत्र भेज कर निजीकरण का फैसला तत्काल निरस्त करने की मांग की है।

पावर कारपोरेशन के आंकड़े झूठे 

समिति ने मुख्य सचिव शशि प्रकाश गोयल को भेजे गए पत्र में कहा कि ऊर्जा निगमों के घाटे को आधार बनाकर राज्य में बिजली आपूर्ति को निजी क्षेत्र में सौंपने की तैयारी चल रही है। जबकि पावर कारपोरेशन प्रबंधन के घाटे के आंकड़े पूरी तरह से भ्रामक हैं। घाटे में सब्सिडी और सरकारी विभागों का बकाया जोड़ने के बाद अधिकांश ऊर्जा निगमों का घाटा पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। ज​बकि कुछ में मामूली घाटा शेष रहा जाता है।। ऐसे में घाटे का तर्क देकर बिजली कंपनियों के निजीकरण का तैयार किया गया प्रस्ताव ही गलत था।

निजीकरण प्रक्रिया शुरू से ही विवादास्पद

समिति के अनुसार, निजीकरण की प्रक्रिया शुरू से ही विवादास्पद रही है। झूठा शपथ देने वाली ग्रांट थॉर्नटन कंपनी को सलाहकार चुना गया। इस पर अमेरिका में 40 हजार डालर का जुर्माना और काम पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसी कंपनी से निजीकरण के दस्तावेज तैयार कराए गए। इतना ही नहीं शासन से प्रस्ताव खारिज होने पर भी पावर कॉरपोरेशन में निदेशक (वित्त) निधि कुमार नारंग को सेवा विस्तार दिलवाने की कोशिशें अब भी जारी हैं। 

स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट पर उठाए सवाल

समिति ने स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 को भी कटघरे में खड़ा किया है। जिसे निजीकरण का आधार बनाया जा रहा है। समिति ने दावा किया कि डॉक्यूमेंट पब्लिक डोमेन में नहीं है। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने इसे अपनी वेबसाइट पर अभी तक नहीं डाला। इतना ही नहीं आरएफपी डॉक्यूमेंट में एक लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को बेचने की रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रखी गई है। जबकि परिसंपत्तियों का और रेवेन्यू पोटेंशियल का मूल्यांकन नहीं किया है।

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चार अगस्त को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि इन तथ्यों से यह साबित हो गया कि घाटे के झूठे आंकड़ों के आधार पर निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ​बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने के नाम पर प्रदेश में बड़ी लूट होने जा रही ही है। दुबे ने बताया कि निजीकरया के खिलाफ चल रहे आंदोलन के आज 250 दिन पूरे हो गए हैं। चार अगस्त को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। लखनऊ में अपराह्न एक बजे से मध्यांचल मुख्यालय पर बिजली कर्मचारी आवाज बुलंद करेंगे।

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