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BBAU में अंतरराष्ट्रीय अयोध्या फिल्म फेस्टिवल का आगाज Photograph: (bbau)
- सिनेमा के जरिए भारतीय संस्कृति और इतिहास को दुनिया के सामने लाने की पहल
- बीबीएयू में तीन दिवसीय आयोजन में जुटे कई देशों के फिल्मकार
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर कहे जाने वाले काकोरी ट्रेन एक्शन की स्मृति में बुधवार को 19वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया। इसमें फिल्मकार, लेखक, इतिहासकार और शोधार्थी शामिल हुए। यह तीन दिवसीय आयोजन इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक चेतना और वैश्विक विषयों पर केंद्रित फिल्मों, सेमिनारों और प्रदर्शनियों के माध्यम से दर्शकों से संवाद करेगा।
काकोरी ट्रेन एक्शन ने जगाई आजादी की अलख
इस अवसर पर काकोरी ट्रेन एक्शन में शामिल क्रांतिकारी शचींद्र नाथ की पौत्री मीता बख्शी ने अपने दादा के योगदान को याद करते उस ऐतिहासिक आंदोलन की भावना साझा की, जिसने पूरे देश को स्वतंत्रता संग्राम के लिए जागरुक किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार शचींद्र नाथ सहित कई युवा क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का संकल्प लिया था। 9 अगस्त 1925 को काकोरी ट्रेन एक्शन एक साहसिक क्रांतिकारी अभियान था। यह ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ एक बड़ा प्रतीकात्मक प्रतिरोध बना और देशभर में आजादी की अलख जगा दी। क्रांतिकारियों का बलिदान आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी विरासत मातृभूमि के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटने का संदेश देती है।
सांस्कृतिक पहचान को मिलेगा नया स्वरूप
मुंबई से आए फिल्म निर्देशक प्रो. मोहन दास ने कहा कि अयोध्या फिल्म फेस्टिवल एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहल है। इसका इसका उद्देश भारतीय सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, इतिहास और समकालीन सामाजिक मुद्दों को सिनेमा के माध्यम से प्रस्तुत करना है। यह फिल्म महोत्सव कला, संस्कृति और संवाद का एक समृद्ध मंच प्रदान करेगा। फेस्टिवल के दौरान विभिन्न देशों की अनेकों भाषाओं और शैलियों की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा, जो समाज के विविध पक्षों को उजागर करेंगी। प्रो. दास ने बताया कि यह कार्यक्रम युवा फिल्मकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने, दर्शकों से जुड़ने और देश की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त रूप में प्रस्तुत करने का एक उत्कृष्ट अवसर देगा।
भारत का इतिहास स्वर्णिम और प्रेरणादायक
मैक्सिको के फिल्म निर्देशक पास्कल बोरेल ने कहा कि हर देश का अपना एक इतिहास होता है। लेकिन भारत का इतिहास यहां के वीर क्रांतिकारियों और तपस्वियों के कारण स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे अपने जीवन का लक्ष्य तय करें। उसी दिशा में लगातार मेहनत करते रहें। ताकि वे अपने व्यक्तिगत विकास और देश की सेवा और प्रगति में भी अपना योगदान दे सकें।
भारत की जड़ें प्राचीन सभ्यता में रची-बसी
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने कहा कि भारत की जड़ें हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता में एकता के सिद्धांतों में गहराई से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवा बेहद प्रतिभाशाली, नवाचारी और ऊर्जावान हैं। इनमें देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता है। उन्होंने स्मरण कराया कि भारत की स्वतंत्रता और विकास की राह में न जाने कितने वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। उनकी कुर्बानी याद रखना और उनके सपनों के भारत का निर्माण करना हम सभी का नैतिक दायित्व है।
शिक्षा और विकास पर बल
कुलपति ने कहा कि शिक्षा, पर्यावरण, आर्थिक विकास, तकनीकी प्रगति, सामाजिक समरसता या आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में इन समस्याओं का मिलकर समाधान करना सभी का दायित्व है। उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि वे आत्मविश्वास, परिश्रम और ईमानदारी के साथ देशहित में कार्य करें, क्योंकि आने वाला भारत उन्हीं के हाथों में है।
देश-विदेश की फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग
इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों से आये विद्यार्थियों के लिए 'स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका' विषय पर आधारित पेंटिंग प्रतियोगिता एवं 'काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष' पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन हुआ। इसके अतिरिक्त देश-विदेश की फिल्मों की स्क्रीनिंग भी की गयी। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों द्वारा युवाओं की ओर से पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया गया।
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Ayodhya Film Festival 2025 | BBAU