लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने करोड़ों रुपये के टेंडर मामले में पावर कारपोरेशन और सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन की मिलीभगत का खुलासा किया है। परिषद के अनुसार, ग्रांट थार्नटन को टेंडर देने के लिए सितंबर 2024 में जारी किए गए एक अन्य टेंडर को जानबूझकर आठ महीने तक रोका गया। जबकि उसकी वैधता केवल 90 दिन थी। प्रबंधन अब इस टेंडर को भी ग्रांट थार्नटन को देने की तैयारी में है। परिषद ने सलाहकार कंपनी के लिए रोके गए टेंडर के प्रपत्र को सार्वजनिक कर प्रदेश सरकार से टेंडर को निरस्त कर पावर कारपोरेशन की वित्तीय विंग की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
वित्त विंग में चल रही भारी गड़बड़ी
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया है कि पावर कारपोरेशन की वित्त विंग ने सरकार की नीतियों के विपरीत जाकर नियमों को दरकिनार करते हुए मुख्य अभियंता जैसे उच्च पदों पर लिटरल एंट्री से नियुक्तियां की हैं। जिन्हें साक्षात्कार लेकर पे बैंड 4 के पदों का वेतन दिया जा रहा है। पहली बार संविदा पर बड़े पैमाने पर नियुक्तियां करने का फैसला भी इसी विंग में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने किया। जिससे यह स्पष्ट होता है कि वित्त विंग में भारी गड़बड़ी चल रही है।
बैक डेट में तैयार किए गए दस्तावेज
वर्मा ने कहा कि विभागीय कार्मिकों को पूरी भर्ती प्रक्रिया से बाहरी रूप से अलग रखा जा रहा है। जबकि बाहरी व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने यह भी मांग की कि यदि वित्त विंग की स्टैंडर्ड फाइलों की जांच की जाए, तो यह खुलासा हो जाएगा कि कैसे एक ही फर्म ग्रांट थार्नटन,को लाभ पहुंचाने के लिए बैक डेटिंग कर दस्तावेज तैयार किए गए हैं।
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