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निजीकरण के ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट की लीगल वैधता नहीं, उपभोक्ता परिषद ने की CBI जांच की मांग

परिषद के अनुसार, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय जब कोई भी ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया जाता है तो उसे पब्लिक डोमेन में लाकर आम जनता व स्टॉक होल्डर से आपत्तियां व सुझाव मांगे जाते हैं। तभी उसकी कोई लीगल वैधता होती है।

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Deepak Yadav
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उपभोक्ता परिषद ने ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की वैधता पर उठाए सवाल Photograph: (google)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन की ओर से ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट (एसबीडी) के आधार पर तैयार बिजली कंपनियों के निजीकरण के मसौदे पर सवाल उठाए हैं। परिषद का दावा है कि एसबीडी की कानूनी वैधता नहीं है। ऐसे में प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के 42 जिलों की​ बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में नहीं दिया जा सकता।

ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर नहीं ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट

परिषद के अनुसार, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय जब कोई भी ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया जाता है तो उसे पब्लिक डोमेन में लाकर आम जनता व स्टॉक होल्डर से आपत्तियां व सुझाव मांगे जाते हैं। तभी उसकी कोई लीगल वैधता होती है। लेकिन जिस एसबीडी के आधार पर निजीकरण की प्रकिया को आगे बढ़ाया जा रहा, वह कहीं भी केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट और पब्लिक डोमेन में नहीं है।

निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए खेल

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उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि यह सारा खेल निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए मिलीभगत से किया जा रहा है। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने ऊर्जा मंत्रालय से मसौदे पर असंवैधानिक तरीके से अनुमति ली। उन्होंने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।

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