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खुजली, चकत्ते या चक्कर शुभ संकेत, दुष्प्रभाव के डर से 48 प्रतिशत नहीं खाते फाइलेरिया की दवा

फाइलेरिया की दवा खाने के बाद यदि किसी व्यक्ति को खुजली, चकत्ते या चक्कर आता है तो ये कोई दुष्प्रभाव नहीं है। ये लक्षण बताते हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु थे और दवा का उन पर असर हो रहा है।

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Deepak Yadav
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दुष्प्रभाव के डर से 48 प्रतिशत नहीं खाते फाइलेरिया की दवा Photograph: (google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी में 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान शुरू हो रहा है। फाइलेरिया की दवा खाने के बाद यदि किसी व्यक्ति को खुजली, चकत्ते या चक्कर आता है तो ये कोई दुष्प्रभाव नहीं है। ये लक्षण बताते हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु थे और दवा का उन पर असर हो रहा है। ऐसे ही दुष्प्रभावों के डर से 48 प्रतिशत से लोग फाइलेरिया की दवा नहीं खाते हैं। राज्य फाइलेरिया अधिकारी डा. एके चौधरी ने बताया कि जो भी हर साल एक बार पांच साल तक दवा खा लेगा तो वह स्वयं फाइलेरिया से सुरक्षित हो जाएगा और अगर उस क्षेत्र के 80 प्रतिशत से अधिक लोग दवा खा लेंगे तो वह समुदाय फाइलेरिया से सुरक्षित हो जाएगा। 

एमडीए अभियान को लेकर तैयारियां तेज

डॉ. चौधरी ने पिछले एमडीए अभियान में पंचायती राज विभाग से मिले सहयोग की तारीफ करते हुए कहा कि इस बार भी सभी प्रधान ग्रामीणों के सामने स्वयं दवा खाकर अभियान की शुरुआत करें। अभियान की तिथि के बारे में ग्रामीणों को डुगडुगी बजवाकर व अन्य माध्यमों से सूचित करें। गांव में साफ-सफाई रहे। उन्होंने सहायक विकास अधिकारियों से एमडीए अभियान शुरू होने से पहले प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करने की अपील की। ताकि सभी अभियान से संकल्पित रूप से जुड़ सकें। पंचायती राज विभाग के उपनिदेशक राघवेंद्र द्विवेदी ने सभी जिला पंचायत राज अधिकारियों व सहायक विकास अधिकारियों को इस कार्यक्रम में गंभीरता से जुड़ने व स्वास्थ्य विभाग को पूर्ण सहयोग देने के निर्देश दिए। 

गर्भवती और बीमारी लोगों को न दें दवा

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इससे पहले सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ), प्रधानों, कोटेदारों, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं व स्वयंसेवकों को फाइलेरिया के बारे में प्रशिक्षित किया गया। पीसीआई के आईईसी विशेषज्ञ मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि दवा सामने ही खिलानी है। किसी को बाद में खाने के लिए नहीं देनी है। गर्भवती महिला, दो साल से कम उम्र के बच्चों व गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों के अलावा सभी को दवा खानी है। उन्होंने बताया कि बीते साल किए गए एक सर्वे के मुताबिक 48 फीसदी लोग दुष्प्रभावों के डर से दवा नहीं खाते हैं। जबकि खुजली, चकत्ते या चक्कर जैसे दिखने वाले दुष्प्रभाव तो शुभ संकेत हैं। ऐसे मौके पर आप स्वयंसेवकों की भूमिका की अहम भूमिका है। आप ऐसे इनकार करने वाले लोगों को वीडियो व अन्य प्रचार सामाग्री के माध्यम से जागरूक कर

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