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Electricity Privatisation : औद्योगिक समूहों को 3500 करोड़ का लाभ देने की तैयारी, उपभोक्ता परिषद ने की CBI जांच की मांग

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इन सवालों पर कहा कि निजीकरण के लिए जिन मानकों के आधार पर नई कंपनियों का शुरुआती न्यूनतम मूल्य​ निकाला गया है, उससे औद्योगिक समूहों को लगभग 3500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।

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Deepak Yadav
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नई बिजली कंपनियों के न्यूनतम मूल्य में गड़बड़ी Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को भंग करके पांच नई बिजली कंपनियां बनाई जा रही हैं। इनकी बोली के लिए शुरुआती न्यूनतम मूल्य 6500 से 6800 करोड़ रुपये तय किया गया है। जबकि इस राशि को तय करने के लिए अपनाए गए मानक के आधार पर अभी तक देश में कहीं भी निजीकरण नहीं हुआ है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन और उसकी सलाहकार कंपनी बार-बार चंडीगढ़ और दादर नगर हवेली मॉडल का हवाला दे रहे हैं। लेकिन इन दोनों मॉडल पर नई कंपनियों का न्यूनतम मूल्य नहीं निकला गया। राज्य विद्युत नियामक आयोग को इस पर आपत्ति जताई है। आयोग ने सरकार से पूछा है कि क्या न्यूनतम मूल्य तय करने का उसका फार्मूला सही है।

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नई कंपनियों के न्यूनतम मूल्य में गड़बड़ी

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इन सवालों पर कहा कि निजीकरण के लिए जिन मानकों के आधार पर नई कंपनियों का शुरुआती न्यूनतम मूल्य​ निकाला गया है, उससे औद्योगिक समूहों को लगभग 3500 करोड़ रुपये का फायदा होगा। इसलिए पावर कारपोरेशन जल्द ही इस प्रस्ताव पर फिर एनर्जी टास्क फोर्स से मंजूरी लेना चाहता है। अवधेश वर्मा ने कहा कि चंडीगढ़ मॉडल के आधार पर नई बिजली कंपनियों के न्यूनतम मूल्य का आकलन करने पर वह 6500 करोड़ नहीं, बल्कि 10 हजार करोड़ निकल रहा है। इससे स्पष्ट है कि पावर कारपोरेशप प्रबंधन और कंसल्टेंट औद्योगिक समूहों को 3500 करोड़ का फायदा पहुंचाने की जुगत में लगे थे। ऐसे में प्रदेश सरकार को तत्काल पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप देना चाहिए। 

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