लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की जूनियर अस्सिटेंट परीक्षा में बिजली कंपनियों के निजीकरण का सवाल आने पर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार पांच प्रश्न किए हैं। परिषद ने यह भी कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के संकल्प पत्र में प्रदेश के चार करोड़ लोगों से राय ली गई। लेकिन उसमें 42 जनपदों के निजीकरण का जिक्र नहीं था। ऐसे में निजीकरण संकल्प पत्र के खिलाफ है। उस समय सरकार संकल्प पत्र में निजीकरण का मुद्दा शामिल करती तो चुनाव परिणाम शायद कुछ और होते।
परिषद ने किए ये पांच सवाल
उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश 3 करोड़ 45 लाख बिजली उपभोक्ताओं की तरफ से सरकार से सवाल किया कि क्या निजीकरण के बाद बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होगी? करोड़ों की सरकारी संपत्तियां कम दामों में नहीं बिक जाएगी? क्या औद्योगिक समूहों का लाभ नहीं होगा? क्या इससे उत्तर प्रदेश में सरकारी क्षेत्र में रोजगार का सपना देख रहे युवाओं के साथ बड़ा धोखा नहीं होगा? क्या इससे 16 हजार से ज्यादा आरक्षण के पद समाप्त नहीं हो जायेंगे?
निजीकरण का मसौदा भ्रष्टाचार का पुलिंदा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा निजीकरण से ऊर्जा विभाग में कोई सुधार नहीं होगा, बल्कि इससे केवल औद्योगिक समहों को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि विद्युत नियामक आयोग की ओर से निजीकरण के मौसदे में निकाली गईं कमियों का सरकार को अध्ययन करना चाहिए। इससे साफ हो जाएगा कि पता चल जाएगा कि यह मसौदा भ्रष्टाचार का पुलिंदा है। सरकार को उद्योगपतियों के साथ साठगांठ करके तैयार किए गए निजीकरण के ड्राफ्ट को खारिज करते हुए प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।
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