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पीएम के गढ़ में शुक्रवार को निजीकरण का विरोध, आयोग की सुनवाई में उपभोक्ता परिषद करेगा बिजली दरें कम करने की पैरवी

पूर्वांचल में लगभग 45 फीसदी बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर जनसुनवाई में परिषद उपभोक्ताओं के 33122 करोड़ सरप्लस के एवज में बिजली दरों में कमी करने और निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज कराने की मांग करेगा।

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Deepak Yadav
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उपभोक्ता परिषद नियामक अयोग की सुनवाई में बिजली दरे कम करने की उठाएग मांग Photograph: (google)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शुक्रवार को बिजली से जुड़े मुद्दे गर्म रहेंगे। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ो​त्तरी की सुनवाई में सरकार और पावर कारपोरेशन को घेरने की तैयारी कर ली है। संगठन प्रदेश में 45 फीसद दरें बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करने समेत बिजली निजीकरण को रद्द करने के लिए आयोग के समक्ष कानूनी तथ्य रखेगा।

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पूर्वांचल में लगभग 45 फीसदी बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर जनसुनवाई में परिषद उपभोक्ताओं के 33122 करोड़ सरप्लस के एवज में बिजली दरों में कमी करने और निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज कराने की मांग करेगा। उसका कहना है कि प्रधानमंत्री के क्षेत्र में बिजली दरों को लेकर होने वाली यह सुनवाई बेहद अहम है। संगठन अयोग के सामने तथ्यों के साथ अपनी बात रखेगा।

अप्रैल 2026 तक निजीकरण असंवैधानिक

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को आने वाले समय में तीन भागों में बांटा जाएगा। इसका प्रस्ताव भी आयोग के सामने सलाह के लिए रखा गया है। बिजली कंपनी ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दर का प्रस्ताव आयोग में दाखिल कर दिया गया है और उसी पर सुनवाई चल रही है। ऐसे में अप्रैल 2026 तक निजीकरण करना असंवैधानिक है। इन सभी मुद्दों पर सरकार और पावर कारपोरेशन को घेरेगा।

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महंगी बिजली से घंटे में कंपनियां

अवधेश वर्मा ने कहा कि महंगी बिजली खरीद और पुराने पावर परचेज एग्रीमेंट को बिना समीक्षा को जारी रखने से बिजली कंपनियां घाटे में हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित बिजली खरीद लगभग 162130 मिलियन यूनिट है। उसकी लागत 86952 करोड़ है। इसमें प्राइवेट सेक्टर से लगभग 64805 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी जा रही है। उसकी लागत 35121 करोड़ है। 

महंगी बिजली खरीद पर लगे रोक

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इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम से 38878 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी जाती है। उसकी लागत लगभग 20670 करोड़ है। वहीं, केंद्रीय सेक्टर एनटीपीसी से 22360 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी जाती है और उसकी लागत 10 हजार 696 करोड़ रुपये है। ऐसे में निजी घरानों महंगी बिजली खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो प्रदेश की सरकारी बिजली कंपनियों की माली हालत सुधर जाएगी।

निजीकरण पर होगी कानूनी बहस

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बनारस में संवैधानिक तथ्यों के आधार पर निजीकरण के प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग से खारिज करने की मांग उठाई जाएगी। उन्होंने कहा कि निजीकरण का पूरा प्रस्ताव ऐसे वक्त में लाया गया जब प्रदेश में बिजली दरों की सुनवाई चल रही है। एक तरफ पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा अपनी वार्षिक राजस्व आवश्यकता वर्ष 2025-26 व बिजली दरों की याचिका विद्युत नियामक आयोग में लगाई गई है। दूसरी तरफ निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में कानूनन अप्रैल 2026 तक निजीकरण पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती।

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