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निजीकरण में पावर कारपोरेशन का ‘डबल गेम’ : पहला ट्रांजेक्शन एडवाइजर गुप्त, दूसरा सार्वजनिक

Electricity Privatisation : अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन को सबसे पहले अपने कार्मिकों और उपभोक्ताओं को सही जानकारी देनी चाहिए। आखिर किसके इशारे पर सितंबर में निजीकरण का मसौदा गुपचुप तरीके से तैयार कराया जा रहा था।

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Deepak Yadav
Electricity Privatisation bidding draft

पावर कारपोरेशन का ‘डबल गेम Photograph: (Social Media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) का बिजली के निजीकरण में नया कारनामा सामने आया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दावा किया कि पावर कारपोरेशन निजीकरण की घोषणा से पहले गुपचुप तरीके से एक ट्रांजेक्शन एडवाइजर (टीए) नियुक्त किया। इसकी जानकारी सार्वजनिक रूप से नहीं दी गई। बाद में निजीकरण की प्रक्रिया के लिए ग्रांट थॉर्नटन कंपनी को भी टीए के रूप में चुना। ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में यह पहला मामला है, जब एक कंसल्टेंट को गुपचुप और दूसरे को सार्वजनिक रूप से नियुक्त किया गया।

पांच दिसंबर को गुपचुप टीए की नियुक्ति 

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की घोषणा 25 नवंबर 2024 को की थी। इसके अगले महीने पांच दिसंबर को गुपचुप तरीके से ट्रांजेक्शन एडवाइजर की नियुक्ति की। उन्होंने सवाल उठाया कि उस टीए की रिपोर्ट कहां गई और उसके आधार पर पावर कारपोरेशन ने क्या कार्रवाई की। वर्मा ने कहा कि निजीकरण की आड़ में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है।

ऊर्जा विभाग में पहली बार ऐसा हुआ

अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन को सबसे पहले अपने कार्मिकों और उपभोक्ताओं को सही जानकारी देनी चाहिए। आखिर किसके इशारे पर सितंबर में निजीकरण का मसौदा गुपचुप तरीके से तैयार कराया जा रहा था। क्या उसमें निजी घरानों  शामिल थे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि एक ट्रांजेक्शन एडवाइजर को गुपचुप नियुक्त किया गया। वहीं, दूसरा टीए विवादों में घिरा हुआ है। वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन कई अहम जानकारियां छुपा रहा है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

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