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निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने दावा किया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के बाद प्रदेश में लगभग 50 हजार संविदा बिजली कर्मियों की छंटनी कर दी जाएगी। इसके अलावा 16,500 नियमित कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। निजीकरण से कॉमन केडर के अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों पर नौकरी जाने और पदावनति का खतरा रहेगा। इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बिजली कर्मियों पर पड़ेगा।
आरएफपी डाक्यूमेंट निरस्त करने की मांग
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण से बिजली कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
ऐसे में विद्युत नियामक आयोग को निजीकरण का आरएफपी डाक्यूमेंट तत्काल निरस्त कर देना चाहिए।
समिति ने बिजली कर्मचारियों को सचेत किया कि निजीकरण का टेंडर जारी होते ही अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन के लिए तैयार रहें।
निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन जारी
संगठन के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन निजीकरण की प्रक्रिया में खुलेआम दखलंदाजी कर रहा है। इससे साफ है कि आएफपी डाक्यूमेंट कुछ निजी घरानों की मदद करने के लिए बनाया गया है। उन्होंने बताया कि आज लगातार 303वें दिन भी बिजली कर्मियों ने सभी जनपदों में प्रदर्शन किया।
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