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कंपनियों की हालत खराब होने से नहीं बढ़ीं बिजली दरें, उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण के आंकड़ों पर उठाए सवाल

विद्युत नियामक आयोग ने टैरिफ आदेश में स्पष्ट किया है कि निगमों पर उपभोक्ताओं का इस वर्ष भी 18592 करोड़ बकाया निकल रहा है, लेकिन बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब है। ऐसे में बिजली दरें कम नहीं की जा सकती है।

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Deepak Yadav
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वर्टिकल व्यवस्था का मामला पहुंचा नियामक आयोग Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत नियामक आयोग ने टैरिफ आदेश में स्पष्ट किया है कि निगमों पर उपभोक्ताओं का इस वर्ष भी 18592 करोड़ बकाया निकल रहा है, लेकिन बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब है। ऐसे में बिजली दरें कम नहीं की जा सकती है। उपभोक्ता परिषद की ओर से निगमों पर उपभोक्ताओं के 33122 करोड़ सरप्लस के एवज में बिजली दरें कम करने की मांग की जा रही है। कंपनियों पर कुल 51 हजार करोड़ रुपये सरप्लस है। ऐसे में 13 प्रतिशत बिजली दरें कम हो सकती हैं। 

सलाहकार के आंकड़ें खारिज 

पावर कॉरपोरेशन ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 45 प्रतिशत और औसत 28 फीसद वृद्धि का प्रस्ताव आयोग को भेजा। आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि बिजली कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति से इस वर्ष बिजली दरों में कमी नहीं की जा सकी है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि परिषद के 90 प्रतिशत आंकड़े आयोग ने स्वीकार कर लिए हैं। पावर कॉरपोरेशन के सलाहकार के आंकड़ों को पूरी तरह खारिज कर दिया। वर्मा ने कहा कि निजीकरण का आरपीएफ दस्तावेज सलाहकार ने बनाया है। इसमें वही आंकड़े हैं, जो टैरिफ में थे। ऐसे में कॉरपोरेशन के निजीकरण के आधार कमजोर पड़ेंगे।

परिषद ने मांगें

  • पावर कॉरपोरेशन के आंकड़ों और कंसलटेंट पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
  • उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए 13 प्रतिशत बिजली दर कमी तुरंत लागू की जाए। 
  • निजीकरण के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश सरकार तत्काल खारिज करें क्योंकि निजीकरण में सभी वह आंकड़े वही है जो टैरिफ में प्रस्तुत किए गए थे।

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