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उपभोक्ता परिषद ऊर्जा मंत्री को चुनौती Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली दरों में 45 फीसद प्रस्तावित वृद्धि पर मध्यांचल को छोड़कर अन्य सभी कंपनियों की जनसुनवाई पूरी हो चुकी है। इस पर अंतिम चर्चा 25 जुलाई को राज्य सलाहकार समिति (एसएसी) की बैठक में होगी। विद्युत नियामक आयोग की ओर से बुलाई गई इस बैठक में सरकार के पांच प्रमुख सचिव शामिल होंगे। इसके साथ ही, विद्युत उपभोक्ता परिषद भी बिजली दर बढ़ोतरी और निजीकरण पर अपनी बात रखेगी।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सलाहकार समिति को यह अवगत कराया जाएगा कि प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सर प्लस निकल रहा है। इसलिए बिजली दरों में एक साथ 45 प्रतिशत या अगले पांच वर्षों तक नौ फीसदी कमी की जाए।
21 जुलाई को मध्यांचल की सुनवाई
अवधेश वर्मा कहा कि 21 जुलाई को मध्यांचल की सुनवाई होगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 2025-26 के लिए बिजली दर की सुनवाई पूरी हो चुकी है। वहीं, दोनों ही बिजली कंपनियों के 42 जनपदों के निजीकरण की प्रकिया भी चल रही है, जो पूरी तरह आसंवैधानिक है।
निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल खारिज किया जाए
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि समिति के समक्ष इस मुद्दे को उठायेंगे कि एक तरफ बिजली कंपनियों ने अप्रैल 2026 तक व्यवसाय करने के लिए अपने वार्षिक राजस्व आवश्यकता का लेखा-जोखा दाखिल किया है। दूसरी तरफ इनका निजीकरण किया जा रहा है। ऐसे में निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल खारिज किया जाना चाहिए।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल पर 16 हजार करोड़ रुपये सरप्लस
वर्मा ने कहा कि राज्य सलाहकार समिति की बैठक में निजीकरण के असंवैधानिक मसौदे और दोनों बिजली कंपनियों में उपभोक्ताओं के निकल रहे 16 हजार करोड़ रुपये सरप्लस की स्थिति और सस्ती दरों पर बिजली कंपनियों को बेचने की साजिश पर का विरोध करेंगे।
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