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आगे बढ़ी निजीकरण प्रक्रिया : बिजली कर्मी बिफरे, टेंडर पर कार्य बहिष्कार, जेल भरेंगे

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मंगलवार को पावर कारपोरेशन की ओर से निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाये जाने पर नाराजगी जताई। टेंडर जारी होते ही अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन की चेतवानी दी।

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Deepak Yadav
Protest Against Electricity Privatisation

निजीकरण की प्रकिया आगे बढ़ने से बिजली कर्मियों में उबाल Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रकिया आगे बढ़ने से बिजली कर्मियों में उबाल है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि निजीकरण का टेंडर जारी होते ही अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरु करेंगे। उनका कहना है कि निजीकरण का सबसे ज्यादा असर बिजली कर्मियों पर पड़ेगा। कर्मचारियों ने नियामक आयोग से निजीकरण के आरएफपी दस्तावेज को मंजूरी न देने की मांग की है।

संघर्ष समिति ने कर्मचारियों को किया एलर्ट

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मंगलवार को पावर कारपोरेशन की ओर से निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाये जाने पर नाराजगी जताई। समिति ने प्रदेश के सभी बिजली कर्मियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं से एलर्ट जारी करते हुए आह्वान किया कि निजीकरण का टेंडर जारी होते ही अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन के लिये तैयार रहें।

50 हजार संविदा कर्मियों पर छंटनी का संकट

संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के मसौदे पर कोई भी अभिमत देने के पहले आयोग समिति को अपना पक्ष रखने का अवसर दे। इस बाबत नियामक आयोग अध्यक्ष को पत्र भेजकर वार्ता का समय मांगा है। उन्होंने दावा किया कि निजीकरण के बाद लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों की छंटनी हो जायेगी। करीब 16 हजार 500 नियमित कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जायेगी। 

जूनियर इंजीनियरों की नौकरी को खतरा 

इसके अलावा कॉमन केडर के अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों पर नौकरी जाने और पदावनति का खतरा उत्पन्न होगा। ऐसी स्थिति में निजीकरण से सबसे अधिक दुष्प्रभाव बिजली कर्मियों पर पड़ने जा रहा है। ऐसे में बिना बिजली कर्मियों का पक्ष सुने नियामक आयोग को कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। 

निजीकरण का मसौदा किया जाए निरस्त

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समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुने कहा कि पूर्व निदेशक वित्त निधि नारंग ने अवैध ढंग से नियुक्त सलाहकार ग्रांट थार्नटन कंपनी के साथ मिलीभगत कर आएफपी डाक्यूमेंट कुछ निजी घरानों की मदद करने के लिए बनाया था। शासन ने संभवतः इन्ही बातों को देखते हुए नारंग को सेवा विस्तार देने से मना कर दिया। अब संजय मेहरोत्रा नए निदेशक वित्त बन गये हैं। ऐसे में निजीकरण के दस्तावेज को निरस्त कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि आज भी बिजली कर्मियों ने सभी जनपदों में प्रदर्शन जारी रखा।

Electricity Privatisation | Vkssup

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