Advertisment

बिजली संशोधन बिल और निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी, मुंबई में बनेगी रणनीति

मुंबई में तीन नवंबर को एनसीसीओईईई की बैठक में बिजली बिजली संशोधन बिल और यूपी में सरकारी बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।

author-image
Deepak Yadav
electricity

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली संशोधन बिल और यूपी में निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे। इससे किसानों और उपभोक्ताओं को भी जोड़ा जाएगा। कर्मचारियों का कहना है कि इस बिल के जरिए देश में ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करने की तैयारी की जा रही है। इससे बिजली दरें बेतहाशा बढ़ जाएंगी। किसान और आम उपभोक्ता बिजली जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हो जाएंगे। बता दें कि केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ने नौ अक्टूबर को इस बिल का प्रारूप जारी किया था। स्टेक होल्डर्स से एक महीने के अंदर टिप्पणी मांगी गई है।

 मुंबई में एनसीसीओईईई की बैठक में बनेगी रणनीति

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि मुंबई में तीन नवंबर को नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की बैठक होगी। इसमें बिजली बिजली संशोधन बिल और यूपी में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन का फैसला किया जाएगा। बिजली कर्मचारी, किसानों और उपभोक्ताओं के साथ संयुक्त मोर्चा बनाकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाएंगे। 

सरकारी क्षेत्र में बिजली वितरण के अंत की शुरुआत 

उन्होंने कहा कि बिल के सेक्शन 14, 42 और 43 के माध्यम से निजी कंपनियों को यह अधिकार दिया जा रहा कि वह सरकारी बिजली कंपनियों का नेटवर्क इस्तेमाल कर बिजली की आपूर्ति कर सकेंगी। इसके एवज में वह सरकारी बिजली कंपनियों को नाम मात्र का व्हीलिंग शुल्क देंगी उन्होंने कहा कि यह सरकारी क्षेत्र में बिजली वितरण के अंत की शुरुआत होगी। नेटवर्क के मेंटेनेंस की सारी जिम्मेदारी दिए जाने से सरकारी वितरण कंपनियों पर वित्तीय भार पर आयेगा। निजी कंपनियों को इस नेटवर्क के जरिए पैसा कमाने की छूट दी जा रही है। 

कंगाल हो जाएंगी सरकारी बिजली कंपनियां 

पदाधिकरियों ने कहा कि इस बिल में निजी कंपनियों को यूनिवर्सल पावर सप्लाई का दायित्व नहीं होगा। जिसका दुष्परिणाम यह होगा की निजी कंपनियां सरकारी कंपनी का नेटवर्क प्रयोग करके मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी। और घाटे वाले किसान और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने का दायित्व सरकारी विद्युत वितरण निगम का होगा। परिणामस्वरूप सरकारी बिजली कंपनियां कंगाल हो जाएंगी और उनके पास बिजली खरीदने और अपने कर्मचारियों को वेतन देने का भी पैसा नहीं बचेगा।

Advertisment

5 एचपी पंप के लिए देना होगा 12 हजार प्रतिमाह

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि इस बिल में सेक्शन 61 (जी) में संशोधन कर अगले पांच वर्ष में क्रॉस सब्सिडी समाप्त करने का उल्लेख है। इसके साथ ही बिल में यह प्रावधान किया गया है कि बिजली का टैरिफ कॉस्ट रिफ्लेक्टिव होना चाहिए। यानी लागत से कम मूल्य पर किसी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए। ऐसे में किसानो को पांच हॉर्स पावर के पंप के लिए कम से कम 12 हजार रुपये प्रति माह बिजली बिल का भुगतान करना पड़ेगा। इसी तरह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें कम से कम आठ से 10 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी।

राज्यों के अधिकार छीन रही केन्द्र

दुबे ने कहा कि बिजली संविधान में बिजली के मामले में केंद्र और राज्य सरकार को बराबर अधिकार है। इस अमेंडमेंट बिल के जरिए केंद्र बिजली के मामले में राज्यों के अधिकार छीन रही है। विद्युत वितरण और टैरिफ निर्धारण में केन्द्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप हो जाएगा। जो संविधान की संघीय भावना के विपरीत है। उन्होंने केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर से किसान, उपभोक्ता और कर्मचारी विरोधी इस बिल को तत्काल वापस  लेने की मांग की है। 

electricity | electricity department | Electricity Privatisation | VKSSSUP 

Advertisment

यह भी पढ़ें- वर्टिकल सिस्टम से लेसा में समाप्त हो जाएंगे 5600 पद, मुख्यमंत्री ने नई व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग

यह भी पढ़ें- स्मार्ट प्रीपेड मीटर से 13 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली, नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल

यह भी पढ़ें- 2500₹ के स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर 6016 की वसूली : उपभोक्ता परिषद ने कहा- खरीद ऑर्डर सार्वजनिक करे

Advertisment

यह भी पढ़ें- स्मार्ट प्रीपेड मीटर से 13 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली, नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल

VKSSSUP Electricity Privatisation electricity electricity department
Advertisment
Advertisment