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वर्टिकल सिस्टम से लेसा में समाप्त हो जाएंगे 5600 पद, मुख्यमंत्री ने नई व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग

राजधानी लखनऊ में एक नवंबर से लागू होने जा रही वर्टिकल व्यवस्था के खिलाफ बिजली कर्मियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। कर्मचारियों ने दावा कि नई व्यवस्था से लेसा में लगभग 5600 पद समाप्त हो जाएंगे।

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Deepak Yadav
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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी लखनऊ में एक नवंबर से लागू होने जा रही वर्टिकल व्यवस्था के खिलाफ बिजली कर्मियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। कर्मचारियों ने दावा कि नई व्यवस्था से लेसा में विभिन्न संवर्गों के लगभग 5600 पद समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि निजीकरण के लिए मनमाना प्रयोग कर लखनऊ की बिजली व्यवस्था को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है, जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए।   

वर्तमान में लेसा में 154 उपकेंद्र

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के अनुसार, वर्टिकल व्यवस्था में सबसे बड़ी मार संविदा कर्मियों पर पड़ने जा रही है। 15 मई 2017 के आदेश के तहत, शहरी क्षेत्र में हर बिजली उपकेंद्र पर 36 कर्मचारी होने चाहिए। यह आदेश आज भी प्रभावी है। वर्तमान में लेसा में 154 उपकेंद्र है। प्रति उपकेंद्र पर 36 कर्मचारियों के हिसाब से संविदा के 5544 कर्मचारी होने चाहिए। 

3305 संविदा कर्मी हटा दिए जायेंगे

वर्टिकल व्यवस्था के आदेश के अनुसार, लेसा के चारों क्षेत्र में कुल 616 गैंग और 391 एसएसओ होंगे। एक गैंग में तीन कर्मचारी काम करते हैं। इस तरह 616 गैंग में 1848 संविदा कर्मी काम करेंगे। साथ ही 391 एसएसओ काम करेंगे। इस नई व्यवस्था के हिसाब से एक नवंबर से 2239 संविदा कर्मी काम करेंगे। जबकि 15 मई 2017 के आदेश के अनुसार, 5544 संविदा कर्मियों को होना चाहिए। इस प्रकार 3305 संविदा कर्मी एक झटके में हटाए जा रहे हैं। 

सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग

इसी प्रकार अधीक्षण अभियंता के चार पद, अधिशासी अभियंता के 17 पद, सहायक अभियंता के 36 पद, जूनियर इंजीनियर के 155 पद और टीजी2 के 1517 पद समाप्त किए जा रहे हैं। अन्य संवर्गों के पदों में भी कमी की जा रही है। लेसा में रिस्ट्रक्चरिंग के बाद कुल 5606 पद समाप्त किए जा रहे हैं। जिसमें 3305 पद संविदा कर्मियों और 2301 नियमित कर्मचारियों के पद हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वर्टिकल व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की है। वहीं, निजीकरण के खिलाफ 334वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में प्रदर्शन किया।

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