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ऊर्जा मंत्री की 55% शिकायतें लंबित Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी में एक नवंबर से वर्टिकल बिजली व्यवस्था लागू की जाएगी। वहीं, इसके खिलाफ विरोध तेज होता जा रहा है। इसी कड़ी में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने वर्टिकल व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। परिषद का कहना है कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में लागू इस व्यवस्था से उपभोक्ता और जनप्रतिनिधि नाखुश हैं। बावजूद इसके बिना समीक्षा किए इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। ऊर्जा विभाग कोई प्रयोगशाला नहीं है।
उपभोक्ताओं की समस्याओं पर विभाग की सुस्ती
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के पास प्रदेश भर से बिजली से संबंधित शिकायतें आती हैं। सांसद और विधायक भी अपने क्षेत्र की समस्याएं भेजते हैं। उन्होंने बताया कि सितंबर तक ऊर्जा मंत्री की ओर से 7585 शिकायतें बिजली कंपनियों को निस्तारण के लिए भेजी गईं। इनमें चार अक्टूबर तक केवल 3406 का ही निस्तारण हुआ। जबकि 4179 (55 प्रतिशत) शिकायतें अब भी लंबित हैं। उन्होंने कहा कि जब ऊर्जा मंत्री के स्तर से भेजी गई शिकायतों का यह हाल है, तो आम उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।
हेल्प डेस्क से नहीं मिलेगा कोई फायदा
वर्मा ने कहा कि वर्टिकल व्यवस्था लागू होने के बाद उपभोक्ताओं के पास शिकायत दर्ज कराने के लिए केवल 1912 हेल्पलाइन का ही विकल्प रहेगा। यह व्यवस्था लागू करने से पहले उपकेन्द्रों पर हेल्पडेस्क बनाई जा रही हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हेल्प डेस्क बनाने से कुछ नहीं होगा। जब तक नियत सही नहीं होगी, धरातल पर कोई सुधार संभव नहीं है। केवल कागजी घोड़े दौड़ाने से उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिलेगी।
वर्टिकल व्यवस्था पर पुनः समीक्षा जरुरी
उन्होंने कहा कि वर्टिकल व्यवस्था लागू करने वाले ऊर्जा प्रबंधन को अगले पांच वर्षों तक इसी विभाग में रखा जाए। उनकी जवाबदेही तय की जाए। व्यवस्था फेल होने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी रखा जाए। वर्मा ने ऊर्जा विभाग से मांग की कि वर्टिकल व्यवस्था की पुनः समीक्षा की जाए। बिजली कंपनियों की शिकायत निस्तारण प्रणाली की स्वतंत्र ऑडिट और उपभोक्ताओं के हित में जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
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