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बिजली निजीकरण के विरोध में देशव्यापी आन्दोलन की चेतावनी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने यूपी और महाराष्ट्र में बिजली के निजीकरण पर रोक नहीं लगने पर देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। संगठन का कहना है कि पावर सेक्टर का निजीकरण किसानों और गरीब उपभोक्ताओं के हित के विरुद्ध है। सरकारों ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो देश भर के इंजीनियर और कर्मचारी यूपी और महाराष्ट्र के बिजली कर्मियों के समर्थन में सड़क पर उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
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बिजली निजीकरण में में बड़ा घोटाला
एआईपीईएफ की फेडरल काउंसिल की लखनऊ में मंगलवार को हुई बैठक में पदाधिकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि यूपी और महाराष्ट्र में बिजली के निजीकरण के पीछे कारपोरेट घरानों के साथ मिलीभगत और मेगा स्कैम है। झूठा शपथ पत्र देने वाले ग्रान्ट थॉनर्टन को सलाहकार बनाकर कुछ चुनिंदा निजी घरानों के पक्ष में निजीकरण का आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है।
करोड़ों की संपत्तियां कौड़ियों के भाव बेचने की तैयारी
फेडरेशन अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 का खुला उल्लंघन करते हुए पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसम्पत्तियां का मूल्यांकन किये बिना और रेवेन्यू पोटेंशियल निकाले बगैर निजीकरण का आरएफपी दस्तावेज तैयार कर दिया गया है। जिससे एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की परिसम्पत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचा जा सके। उन्होंने कहा कि उप्र में जिस तरह से निजीकरण किया जा रहा है, उससे प्रदेश के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की खुले आम धज्जियां उड़ रही हैं।
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बिजली कर्मियों का हो रहा उत्पीड़न
महासचिव पी रत्नाकर राव ने कहा कि निजीकरण के नाम पर प्रदेश में बिजली कर्मियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। हजारों बिजली कर्मियों का ट्रांसफर, फेस अटेंडेंस के नाम पर वेतन पर रोक, बिजली कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों पर विजिलेंस जांच कराकर एफआईआर और संविदा कर्मियों की बड़े पैमाने पर छटनी की गयी। उन्होंने इन सभी कार्रवाईयों को निंदा करते हुए तत्काल इन्हें वापस लेने की मांग की।
ज्वाइंट वेंचर कंपनियों का विरोध
फेडरेशन ने राज्यों के उत्पादन के क्षेत्र में ज्वांइन्ट वेंचर कम्पनी बनाने का विरोध करते हुए कहा कि सबसे सस्ती बिजली राज्यों के बिजली घरों से मिलती है। ज्वांइन्ट वेंचर कम्पनी बना देने के बाद उपभोक्ताओं के लिए बिजली मंहगी होगी। फेडरेशन ने उप्र में 2800 मेगावाट ओबरा डी और 2800 मेगावाट अनपरा ई परियोजनाओं का ज्वांइन्ट वेंचर निरस्त कर उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम को देने की मांग की है। राजस्थान में कवई और झालावाड़ ताप बिजली घरों को ज्वांइन्ट वेंचर के नाम पर स्टेट सेक्टर से छीनने का विरोध करते हुए फेडरेशन ने इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग तीन बार विफल
फेडरेशन के पदाधिकारियों ने तर्क दिया कि उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग तीन बार विफल हो चुका है। अमेरिका की एईएस कम्पनी का प्रयोग विफल हुआ। रिलायन्स पॉवर कम्पनी के पूरी तरह विफल रहने के बाद फरवरी 2015 में विद्युत नियामक आयोग ने तीनों कम्पनियों के लाइसेंस रद्द कर दिये। कोरोना के दौरान जून 2020 में टाटा पॉवर को उड़ीसा में विद्युत वितरण के लाइसेंस दे दिये गये। अभी 15 जुलाई को स्वतः संज्ञान लेते हुए उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने टाटा पॉवर की चारों कम्पनियों को उपभोक्ता सेवा में पूरी तरह विफल रहने के कारण नोटिस जारी कर दी है और जन सुनवाई का आदेश दिया है।
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बैठक में इन राज्यों के पदा​धिकारी रहे शामिल
फेडरल काउंसिल की बैठक में तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, दामोदर घाटी निगम, झारखण्ड, जम्मू, कश्मीर, पंजाब, उत्तराखण्ड, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के विद्युत अभियन्ता संघों के अध्यक्ष, महामंत्री और वरिष्ठ पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
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Electricity Privatisation | AIPEF
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