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निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण और विद्युत संशोधन बिल के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ किसान और मजदूर संगठन भी लामबंद हो गए हैं। 14 दिसंबर को इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉयीज एंड इंजीनियर्स की दिल्ली में होने वाली बैठक में देशव्यापी आंदोलन की घोषण की जाएगी। वहीं, यूपी में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेंडर जारी होते ही सामूहिक जेल भरो अभियान के लिए कर्मचारी ​तैयार हैं।
केंद्र थोप रहा निजीकरण की शर्त
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर लगभग एक साल से निजीकरण के विरोध में सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। इसी बीच केन्द्र सरकार ने पूरे देश के ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करने के लिए बिजली संशोधन बिल का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इसके अतिरिक्त बेलआउट पैकेज से वित्तीय लाभ देने के लिए राज्यों पर निजीकरण की शर्त मानने का दबाव बनाया जा रहा है।
निजीकरण विरोध में साझा संघर्ष की तैयारी
शैलेंद्र दुबे कहा कि प्रदेश में निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी संगठनों की किसान और अखिल भारतीय ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त संघर्ष पर सहमति बन गई है। उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर की बैठक में शामिल होने के लिए किसान संगठन के डॉ दर्शन पाल और किसान मजदूर मोर्चा के सरवन सिंह पंधेर और ऑल इंडिया ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों से बात हो गई है। उन्हें पत्र भी भेज दिया गया है।
Electricity Privatisation | VKSSSUP
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