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Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया कि यूपी पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन अपने 'फ्लॉप निजीकरण मॉडल' के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) पहुंचा है। इस मॉडल से ​सिर्फ औद्योगिक समू​हों को फायदा होगा और जनता फिर से लालटेन युग में चली जाएगी। दरअसल, पीएमओ में शुक्रवार को ऊर्जा सुधार पर हुई बैठक में यूपीपीसीएल प्रबंधन और ​बिजली विभाग के अपर मुख्य सचिव शामिल हुए। जहां अधिकारियों ने राज्य में बिजली निजीकरण के पक्ष में अपनी बात रखी।
निजीकरण की कमियों पर नहीं दिया जवाब
उपभोक्ता परिषद के मुताबिक, निजीकरण का मामला विद्युत नियामक आयोग में विचाराधीन है। सात महीने बीत जाने पर भी मसौदे में निकाली गईं कमियों का पावर कारपोरेशन ने आयोग को जवाब नहीं दिया है। परिषद की आपत्तियों का भी उसके पास कोई जवाब नहीं है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन को दिल्ली में निजीकरण की बात नहीं करनी चाहिए।
बिजली कंपनियां बेचने की तैयारी
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन सुधार के बजाय राज्य की बिजली कंपनियां निजी घरानों को सस्ती दरों पर बेचने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि सुधार में निजीकरण नहीं होना चाहिए।
वर्मा ने कहा कि तकनीकी दक्षता बढ़ाई जाए, वितरण हानि कम और जवाबदेही तय की जाए तो बिना निजीकरण के भी बिजली क्षेत्र को लाभ में लाया जा सकता है।
Electricity Privatisation | UPRVUP
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