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अंतरिक्ष से आई लखनऊ के शुभांशु की पहली HD फोटो
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। अंतरिक्ष की खामोशी के बीच धरती पर रोमांच और गौरव से भर देने वाली एक अद्भुत तस्वीर सामने आई है। यह तस्वीर है लखनऊ के निवासी और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की, जो इस समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर Axiom Space के मिशन Axiom-4 के तहत मौजूद हैं। यह उनकी पहली हाई डेफिनिशन फोटो है, जिसमें वो स्पेस सूट में मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। इस एक तस्वीर ने न सिर्फ भारत के लोगो को गौरवान्वित किया है, बल्कि युवाओं के मन में ब्रह्मांड को जानने की नई जिज्ञासा भी जगा दी है।
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जीरो ग्रेविटी में हड्डियों की स्थिति पर प्रयोग
आराम के निर्धारित समय के बाद शुभांशु और उनकी टीम ने शनिवार को फिर से वैज्ञानिक गतिविधियों की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने Bone on ISS प्रयोग पर काम किया। जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में हड्डियों पर पड़ने वाले प्रभाव और रेडिएशन के असर का अध्ययन करना है। शून्य गुरुत्वाकर्षण में हड्डियों की स्थिति, क्षरण और पुनर्प्राप्ति की प्रक्रिया को समझने के लिए यह प्रयोग खासा अहम माना जा रहा है।
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क्या है प्रयोग का उद्देश्य
इस अनुसंधान के तहत वैज्ञानिक सूजन, बोन ग्रोथ और रिजनरेशन से जुड़े जैविक संकेतों का विश्लेषण कर रहे हैं। उद्देश्य है एक डिजिटल ट्विन यानी वर्चुअल मॉडल बनाना, जो यह दर्शाएगा कि अंतरिक्ष में मानव शरीर खासतौर से हड्डियां कैसे प्रतिक्रिया करती हैं। इस रिसर्च से जहां भविष्य में स्पेस मिशनों को और सुरक्षित बनाया जा सकेगा, वहीं पृथ्वी पर हड्डियों की बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में भी नई दिशा मिल सकती है।
पायलट की भूमिका में शुभांशु
Axiom-4 मिशन में शुभांशु शुक्ला पायलट की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उनके साथ मिशन कमांडर के तौर पर अनुभवी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन हैं, जबकि हंगरी के टिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोस वेसनिव्स्की मिशन स्पेशलिस्ट की भूमिका में हैं। शुभांशु का कॉल साइन “Shux” है और यह मिशन कुल 14 दिन का है, जिसे Axiom Space द्वारा पूर्णतः संचालित किया जा रहा है।
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स्पेस माइक्रो एल्गी पर भी किए प्रयोग
इस दौरान शुभांशु ने अंतरिक्ष में रेडिएशन मॉनिटरिंग और स्पेस माइक्रो एल्गी पर भी प्रयोग किए हैं। एल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल के व्यवहार को समझने के इस प्रयास का उद्देश्य यह देखना है कि भविष्य की अंतरिक्ष बस्तियों में इन्हें भोजन, ऑक्सीजन और ईंधन के स्रोत के तौर पर कैसे उपयोग किया जा सकता है।
भारत के लिए ऐतिहासिक पल
भारत के अंतरिक्ष सफर में यह एक नया अध्याय है। लखनऊ का यह युवा अब न सिर्फ अंतरिक्ष में भारत की मौजूदगी का प्रतीक बना है, बल्कि विज्ञान की दुनिया में अगली पीढ़ी को प्रेरित करने वाला चेहरा भी बन चुका है।
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