लखनऊ, उत्तर प्रदेश। भारतीय व्यंजन विश्व के 'पाक' नक्शे पर अपनी खास जगह बना चुके हैं और अब लखनऊ को यूनेस्को की गैस्ट्रोनॉमिक क्रिएटिव सिटी के रूप में चुना गया है। लखनऊ की नवाबी तहजीब, अवधी व्यंजन और समृद्ध खानपान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इसका मकसद इस पाक विरासत और स्थानीय स्वाद को बचाना और बढ़ावा देना है।
क्यों चुना गया लखनऊ?
लखनऊ सदियों से अपनी शाही पाक कला और लजीज अवधी खानपान के लिए मशहूर है। इसकी रसोई में स्वाद के साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गहराई भी है। यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में गैस्ट्रोनॉमी श्रेणी के तहत लखनऊ ने आवेदन किया, जिसे मंजूरी मिली। यह उपलब्धि लखनऊ की पाक कला और उसकी परंपराओं को विश्व मंच पर पहचान दिलाने का एक बड़ा कदम है।
यूनेस्को गैस्ट्रोनॉमिक क्रिएटिव सिटी क्या है?
साल 2004 में शुरू हुआ यह नेटवर्क उन शहरों को मान्यता देता है, जिन्होंने खानपान, संस्कृति और कला में अनूठी रचनात्मकता दिखाई हो। लखनऊ को इसकी समृद्ध पाक धरोहर के लिए चुना गया है।
लखनऊ की खासियत
टुंडे कबाब, काकोरी कबाब, बिरयानी, शीरमाल और मिठाइयां यहां की शाही रसोई की पहचान हैं। ये व्यंजन नवाबी खांसामों की पारंपरिक रसोई से सीधे आम लोगों तक पहुंचे हैं। लखनऊ की रसोई मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह के व्यंजनों में अपनी अलग छाप छोड़ती है।
यूनेस्को की टीम लखनऊ आएगी
लखनऊ की मंडलायुक्त रोशन जैकब ने कहा, 'भारत सरकार ने लखनऊ को यह सम्मान दिलवाया है। जून के अंत तक यूनेस्को को पूरी जानकारी भेज दी जाएगी। अगर सब ठीक रहा, तो यूनेस्को की टीम लखनऊ आकर इसकी पाक विरासत का अनुभव करेगी।'
मुंबई की विशेषज्ञ आभा नारायण लांबा ने इस काम में अहम भूमिका निभाई है। पूरे अभियान की निगरानी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय कर रहा है।
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