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Crime News: लखनऊ में पड़ोसी ने पांच साल के बच्चे पर चढ़ाई कार, तीन दिन तक ICU में जिंदगी और मौत से जूझता रहा मासूम

लखनऊ के आशियाना में पड़ोसी द्वारा कार चढ़ाने से साढ़े पांच साल का बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया। CCTV फुटेज ने हादसे को संदिग्ध बना दिया। पुलिस पर लापरवाही बरतने के आरोप लगे।

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Shishir Patel
Lucknow Child Accident

लखनऊ में मासूम पर पड़ोसी की कार चढ़ी

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।Crime News:राजधानी के आशियाना इलाके से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। गली में खेल रहे मासूम बच्चों पर अचानक तेज रफ्तार कार चढ़ा दी गई। इस हादसे में साढ़े पांच साल का शौविक पांडेय गंभीर रूप से घायल हो गया और तीन दिन तक ICU में भर्ती रहकर जिंदगी की जंग लड़ता रहा। घटना का CCTV फुटेज सामने आने के बाद यह साफ हुआ कि यह कोई सामान्य दुर्घटना नहीं, बल्कि सुनियोजित वारदात जैसी प्रतीत हो रही है।

इस हादसे की पूरी कहानी

10 अगस्त की शाम सेक्टर-आई आशियाना निवासी हरिद्वार पांडेय का पोता शौविक अपने दोस्त कुशल सौमिल के साथ घर के बाहर खेल रहा था। तभी बगल में रहने वाले सीएल वर्मा का बेटा शिवांश वर्मा कार लेकर आया। फुटेज में साफ दिखता है कि जैसे ही गाड़ी बच्चों की तरफ मुड़ी, उसकी स्पीड अचानक तेज हो गई और सीधा बच्चों की ओर बढ़ गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कुशल दूर जाकर दीवार से टकराया, जबकि शौविक कार के नीचे दब गया।घायल बच्चे को आनन-फानन में अपोलो सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी कॉलर बोन और पसलियों में गंभीर चोट पाई गई। डॉक्टरों ने उसे तीन दिन तक ICU में रखा, उसके बाद हालत कुछ सुधरने पर डिस्चार्ज किया गया।

कार में आरोपी का पिता सीएल वर्मा भी मौजूद था

शौविक के दादा हरिद्वार पांडेय का आरोप है कि यह कोई दुर्घटना नहीं थी, बल्कि जानबूझकर किया गया हमला था। उनका कहना है कि कार में आरोपी का पिता सीएल वर्मा भी मौजूद था और घटना के बाद उन्होंने न तो हालचाल पूछा और न ही अस्पताल पहुंचे। उल्टा उन्होंने बच्चे की गलती बताते हुए कहा कि "साइकिल बीच में आने से गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया।" लेकिन CCTV फुटेज ने सच्चाई उजागर कर दी। इसमें साफ दिखा कि गाड़ी बच्चों पर सीधे चढ़ाई गई थी और इसे महज एक्सीडेंट कहकर टाला नहीं जा सकता।

पुलिस पर लापरवाही का आरोप

परिवार का आरोप है कि घटना के तुरंत बाद जब उन्होंने थाने में शिकायत की तो पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। कई दिनों तक उन्हें चक्कर लगवाए गए और एक कागज पर जबरन साइन तक करवा लिए गए। यहां तक कि नई तहरीर देने पर भी तारीख बदलवाई गई और आठ दिन बाद जाकर मुकदमा दर्ज हुआ। इस पूरे मामले पर इंस्पेक्टर आशियाना का कहना है कि जैसे ही पीड़ित परिवार ने औपचारिक तहरीर दी, उसी समय मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है।

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